मोदी सरकार के ‘कृषि कानून’ के विरोध में किसान सड़कों पर उतर आए हैं. इस बीच जब दिल्ली कूच कर रहे हज़ारों किसानों को अंबाला-पटियाला बॉर्डर पर रोका गया तो किसानों ने बैरिकेड उखाड़े फेंके. इस दौरान पुलिस ने उन पर आंसू गैस और वाटर कैनन का इस्तेमाल किया. इसके बाद अब पुलिस ने दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर भी सुरक्षा बढ़ा दी है.
#WATCH Farmers’ protest continues at Shambhu border, near Ambala (Haryana) as police stop them from proceeding to Delhi pic.twitter.com/UtssadGKpU
— ANI (@ANI) November 26, 2020
इस बीच हरियाणा सरकार ने प्रदर्शनकारी किसानों को रोकने के लिए कई इलाक़ों में धारा 144 भी लगा दी गयी है.
बता दें कि पंजाब से ‘कृषि कानून’ का विरोध करने दिल्ली आ रहे हज़ारों किसान आज सुबह से ही करनाल के कर्ण झील क्षेत्र के पास एकत्र थे. इसके बाद दिल्ली की तरफ़ बढ़ रहे किसानों ने हरियाणा-पंजाब के बीच ‘शंभू बॉर्डर’ पर ज़बरदस्त विरोध प्रदर्शन.
#WATCH Police use water cannon to disperse farmers gathered at Shambhu border, near Ambala (Haryana), to proceed to Delhi to stage a demonstration against the farm laws pic.twitter.com/U1uXO0MdOs
— ANI (@ANI) November 26, 2020
‘अंबाला-पटियाला बॉर्डर’ पर किसानों और पुलिस में टकराव जारी है. किसानों ने जबरन हरियाणा सीमा में प्रवेश कर लिया है, जिसके बाद पुलिस ने लाठीचार्ज किया है. किसान अब अपने ट्रैक्टर पर चढ़कर जबरन आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे हैं और लगातार नारेबाज़ी कर रहे हैं. बिगड़ती स्थिति के बीच RAF को बुलाया गया है.
#FarmersProtest: अंबाला-पटियाला बॉर्डर पर बिगड़े हालात! #FarmBills #ATVideo #एकऔरएकग्यारह | @satenderchauhan pic.twitter.com/tdowpcrVK5
— AajTak (@aajtak) November 26, 2020
किसान संगठनों का कहना है कि, अगर उन्हें ‘राष्ट्रीय राजधानी’ जाते हुए कहीं भी रोका गया, वो वहीं धरने पर बैठ जाएंगे. वहीं हरियाणा में कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी पार्टियों ने मोदी सरकार पर किसानों की आवाज़ दबाने का आरोप लगाया है.
Haryana: Heavy security deployed on Delhi-Jammu highway near Karna Lake in Karnal, in view of farmer’s protest march to Delhi
— ANI (@ANI) November 26, 2020
A commuter says, ” The highway has been blocked since late last night. Many vehicles are stuck here.” pic.twitter.com/OkFKHXAi2o
बता दें कि मोदी सरकार पहले ही साफ़ कर चुकी है कि ‘कृषि कानून’ को किसी भी क़ीमत पर न तो वापस लिया जाएगा और न ही उसमें कोई फ़ेरबदल किया जाएगा. सरकार का कहना है कि जो कानून बनाया गया है, वो किसानों के हित में है.