कुछ महीने पहले महराजगंज के एक एजेंट ने उसके भाई से दुबई भेजने के नाम पर 45 हज़ार रुपये ठग लिए. पिता कई बार थाने गए, लेकिन पुलिस ने उन्हें भगा दिया. उन्होंने सीएम और डीजीपी के ट्विटर हैंडल पर भी शिकायत की, लेकिन कोई कार्यवाई नहीं हुई. इन सब से परेशान होकर नौवीं क्लास में पढ़ने वाले एक स्टूडेंट ने डीजीपी का फ़ेक ट्विटर अकाउंट बनाकर पुलिसवालों को कार्रवाई के निर्देश दे दिए.

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जी हां, TOI की रिपोर्ट के मुताबिक़, उत्तरप्रदेश के डीजीपी के फ़ेक ट्विटर अकाउंट के पीछे का यही सच है. पुलिस को इस साज़िश की जानकारी तब हुई, जब इस लड़के का रिश्तेदार फ़र्ज़ी अकाउंट से पुलिस को ब्लैकमेल करने लगा. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ये वही रिश्तेदार है, जिसने इस स्टूडेंट की मदद की थी फ़ेक अकाउंट बनाने में.

डीजीपी का फ़ेक ट्विटर अकाउंट बनाने वालों की तलाश साइबर क्राइम सेल पिछले दो महीनों से कर रही थी. साइबर क्राइम सेल के नोडल ऑफ़िसर अभय कुमार मिश्र ने बताया कि इस मामले में बीते शनिवार को गोरखपुर के गुलरिहा थाने की पुलिस ने फ़र्ज़ी अकांउट बनाने के मामले में दो नाबालिगों को पकड़ा. इसमें एक नौवीं का छात्र है और उसका दोस्त पिता के साथ काम करता है. उन्होंने बताया कि दोनों को पूछताछ करके और चेतावनी देकर अभिभावकों के साथ भेज दिया गया है. फ़िलहाल, पुलिस ब्लैकमेल करने वाले युवक की तलाश कर रही है.

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TOI की रिपोर्ट के अनुसार, नौवीं कक्षा के इस स्टूडेंट ने बताया कि जब उसके रिश्तेदार को पता चला कि पुलिस उसकी ठगी की रिपोर्ट दर्ज नहीं कर रही है और न ही कोई कार्यवाई कर रही है, तो रिश्तेदार के दिमाग़ में ये खुराफ़ात आयी और उसने डीजीपी, ओपी सिंह के नाम और उनकी फ़ोटो का इस्तेमाल करके ये फ़र्ज़ी अकाउंट बनाया और इस केस पर तुरंत करने के आदेश दे डाले.

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वहीं सीनियर ऑफ़िसर के अकाउंट (फ़ेक ट्विटर अकाउंट) से निर्देश आने पर पुलिस तुरंत हरकत में आ गई और रिपोर्ट दर्ज करके जांच करने लगी. इसके साथ ही उसने बताया कि इस फ़ेक अकाउंट से ट्वीट करते ही महराजगंज पुलिस उसके घर आ गई और पूछताछ करके मामले की रिपोर्ट दर्ज कर ली. यहां तक कि पुलिस ने एजेंट को पकड़कर उससे 30 हज़ार रुपये भी वापस दिलवा दिए.

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लेकिन इसके बाद उसी रिश्तेदार ने थानों में पेंडिंग पर कैसेज़ की जानकारी हासिल करके पुलिस को ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया, जिस कारण फ़र्ज़ी अकाउंट का खुलासा हुआ.

Feature Image used is a screenshot of the actual DGP’s account.