चुनावों से पहले वोटरों को रिझाने के लिए नेता तमाम तरह के वादे करते हैं. कुछ नेता, तो इस क्रम में इतने आगे हैं कि खुद नेता कहने के बजाय जनता का सेवक जैसे पर्याय जोड़ने से भी नहीं हिचकिचाते. पर जैसे ही चुनाव परिणाम उनके अनुरूप आते हैं, जनता का यही सेवक सत्ता के नशे में कुछ इस कदर चूर हो जाता है कि खुद के किये हुए वादों को भूल जाता है.

अब जैसे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को ही ले लीजिये, जो हाल ही में पाकिस्तान की तरफ़ से हुई गोलीबारी में शहीद हुए BSF जवान प्रेम सागर के घर उनके परिवार वालों से मिलने Deoria पहुंचे थे. उनके यहां पहुंचने से आधा घंटे पहले ही प्रशासन ने प्रेम सागर के घर पर कुर्सियों और AC का इंतेज़ाम करा दिया, पर जैसे ही मुख्यमंत्री परिवार वालों से मिल कर लौटे, प्रशासन ने कुर्सियां और AC दोनों हटवा ली.

प्रेम सागर के बेटे ईश्वर चंद्र का कहना कहना है कि लगभग 1 बजे के करीब प्रशासन की तरफ़ से हमारे घर में कुर्सियां और AC लगवाया गया था, जिसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ यहां पहुंचे.’ मुख्यमंत्री ने परिवार वालों को 4 लाख का चेक और 2 लाख रुपये की FD का सर्टिफिकेट भी दिया, पर जैसे ही मुख्यमंत्री यहां से निकले प्रशासन ने भी कुर्सियों के साथ-साथ AC भी उल्टा रखवा लिया.

सर कम से कम शहीद की लाज, तो रख ही लेते.