हनुमान चालीसा, बचपन में जब भी डर लगता था, पढ़ना शुरू कर देते थे. जब MP के पूर्व विधायक और कांग्रेस के नेता ने जब कहा, “जो हनुमान चालीसा पढ़ेगा उसे कोरोना छू भी नहीं सकता”, तो उसी काल्पनिक ‘भूत’ की याद आ गयी, जो हनुमान चालीसा सुनकर भाग जाता था.

मज़ेदार बात ये भी है कि पूर्व विधायक ने अपने बेतुके बयान पर तर्क भी दिया. उनका तर्क था कि हनुमान चालीसा में ‘नासै रोग हरे सब पीरा, जपत निरन्तर हनुमत बीरा’ कहा गया है, जिससे साफ़ है कि इसको पढ़ने से कोरोना किसी को नहीं छू पायेगा.  

लेकिन पूर्व विधायक को याद होना चाहिए कि उसी हनुमान चालीसा में एक और लाइन आती है ‘बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं’. अगर वाक़ई हनुमान चालीसा ऐसे काम करती है तो इसका मतलब विधायक जी ख़ुद इसका पाठ नहीं कर रहे हैं, वरना कुछ बुद्धि तो आ ही गयी होती! 

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साथ ही रमेश सक्सेना ने कहा कि सभी लोग अपने अपने घरों में हनुमान चालीसा के 11-11 पाठ करें तो उनको कोरोना नहीं होगा.रमेश सक्सेना जब हर बेतुकी बात का जवाब दे रहे हैं तो उनको इस बात का भी जवाब देना चाहिए कि आखिर कोरोना को गिनती सिखा कौन रहा है.