भाई और बहन… एक ऐसा रिश्ता जो लड़ाई-झगड़े का ही होता है. कभी रिमोट को लेकर तो कभी किससे मम्मी-पापा ज़्यादा प्यार करते हैं इस बात को लेकर.


ये रिश्ता बाक़ी सब रिश्तों से सबसे अलग, सबसे जुदा होता है. ऐसे ही भाई बहन रहे होंगे, 50 वर्षी कन्नी और 43 वर्षीय रामा. अब कन्नी एक माओवादी है और रामा सुकमा पुलिस का गोपनीय सैनिक.  

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29 जुलाई को रामा और कन्नी का आमना-सामना हुआ, एक गोलीबारी के बीच. 140 सुरक्षाकर्मियों के दल ने छत्तीसगढ़ के सुकमा ज़िले के बालेंगटोंग जंगलों में माओवादियों की 30 लोगों के दल की घेराबंदी की. सुरक्षाकर्मियों की टीम में रामा शामिल था और माओवादियों में कन्नी. कन्नी के गार्ड्स रामा की तरफ़ गोलियां चलाने लगे, सुरक्षाकर्मियों ने जवाबी कार्रवाई की और 2 माओवादियों को मारा गिराया, कन्नी भाग निकली. 

मैं उस पर गोली नहीं चलाना चाहता था. मुझे वैसा करना पड़ा क्योंकि उसके गार्ड्स ने गोलियां चला दी. कुछ पलों बाद मैंने उसे भी गोलियां चलाते देखा. फिर वो जंगल में ग़ायब हो गई. 

-रामा

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कन्नी कोंटा में सीपीआई (एम) की एरिया कमिटी मेंबर(एसीएम) है और उस पर 5 लाख का इनाम है. कन्नी गिरफ़्तार किए गए माओवादियों के मुक़दमे देखती है और पुलिस एनकाउंटर में मारे गए सदस्यों के परिवार का ध्यान रखती है. तेलंगाना से कोंटा के ज़रिए माओवादी बस्तर पहुंचते हैं. 1980 के दशक में कोंटा में माओवादियों की चहलकदमी शुरू हुई और बस्तर तक फैली. 60 किलोमीटर के इस क्षेत्र में 116 गांव हैं. पुलिस के अनुसार, तक़रीबन 50 गांव में माओवादियों की ‘जनताना सरकार’ चलती है. 

1990 के शुरुआत में गगनपल्ली गांव के दोनों भाई-बहन ने कई गांववालों के साथ हथियार उठा लिए थे.

हमने बाल संघम जॉइन किया क्योंकि हमसे कहा गया कि मूवमेंट ग़रीबों के लिए है. पर हालात बदल गए हैं… अभी के माओ आंदोलन में समर्पण नहीं है इसलिए मैंने 2018 में सरेंडर कर दिया. मुझे पुलिस में नौकरी मिल गई और कुछ महीनों में मैं पुलिस कॉन्सटेबल बन जाऊंगा.

-रामा

रामा ने 10 बड़े पुलिस ऑपरेशन की अगुवाई की है. गोपनीय सैनिक छत्तीसगढ़ सरकार की पहल है. इन सैनिकों को एसपी नियुक्त करता है और बाद में इनका प्रमोशन कॉन्स्टेबल रैंक पर होता है.


रामा भी एसीएम था और उसने भी अपने क्षेत्र की जनताना सरकार की देखरेख की थी. जब उसने अगस्त 2018 में आत्मसमर्पण किया तब उस पर 6.5 लाख का इनाम था.  

सब-डिविज़नल ऑफ़िसर ऑफ़ पुलिस, चंद्रेश ठाकुर के शब्दों में,


‘रामा और वेट्टी अपने क्षेत्र के सबसे ज़्यादा प्रभावशाली नेताओं में से हैं. अपने क्षेत्र के सारी नियुक्तियां उन्होंने ही की थी. रामा का पुलिस से मिलना एक बहुत बड़ी ज़रूरत थी.’  

रामा से जब सरेंडर का कारण पूछा गया तब उसने कहा, 

अपनी ज़िन्दगी के 20 साल मूवमेंट को देने के बावजूद मुझे एसीएम के पोस्ट से नीचे का पोस्ट देकर दूसरे सीपीआई(एम) क्षेत्र भेज दिया गया. आप सोच सकते हैं, मैंने 7 साल से ज़्यादा समय अपनी पत्नी को बिना मिले बिताया और सीनियर्स ने मेरी निष्ठा के प्रति कोई सम्मान नहीं दिखाया.

-रामा

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रामा की इच्छा थी कि उसकी बहन भी सरेंडर कर दे पर कन्नी ने इंकार कर दिया और उसे देशद्रोही कहा. 

मुझे सरेंडर करने के लिए कहने वाली चिट्ठियां कभी मत भेजना. मुझे कंपनशेसन का लालच नहीं, मैं क्रांतिकारी हूं… ये मत समझना की तुम बच जाओगे… तुम एक देशद्रोही हो. क्योंकि तुम पुलिस से मिल गए हो इस वजह से कई मासूम गिरफ़्तार हो रहे हैं और उन पर अत्याचार हो रहा है.

-कन्नी की चिट्ठी

पुलिस ने चिट्ठी में लिखे सभी इल्ज़ामों से इंकार किया है और इसे माओवादियों का प्रोपोपगैंडा बताया है.


रामा अब सुकमा में अपनी पत्नी के साथ रहता है. 

मुझे पता नहीं. मैं हमेशा उसे गिरफ़्तार करने की कोशिश करूंगा या चाहूंगा कि वो सरेंडर कर दे पर एनकाउंटर में कुछ भी हो सकता है. मैं भगवान से यही मांगता हूं कि वो कभी न हो.

-रामा

पुलिस वालों के लिए भी ये एक दुर्लभ घटना है जहां एक भाई-बहन आमने-सामने खड़े हों.