‘कोविड-19 पैंडमिक’ के दौरान अपनी आर्थिक स्थिति, अपने स्वास्थय की परवाह किए बग़ैर देशभर के कई लोगों ने दूसरों की मदद करने के लिए क़दम बढ़ाए. कोरोना की वजह से बहुत से लोगों ने ज़रूरत से ज़्यादा चीज़ें ख़रीदकर घर पर स्टॉक करना शुरू कर दिया था. इस वजह से एक बड़े तबके को ज़रूरी सामान नहीं मिले. 

लॉकडाउन के दौरान ज़रूरतमंदों की मदद करने वाले कई लोग सामने आए जिनकी नेकी की वजह से ग़रीबों को भरपेट खाना मिल सका. इन्हीं में से एक इंदौर के रहने वाले हितेश गूंगान भी हैं. हितेश पेशे से एक Entrepreneur हैं, लेकिन लोगों की मदद की चाह ने उन्हें डिलीवरी बॉय बना दिया.

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Your Story की रिपोर्ट के अनुसार, इंदौर के बिज़नेसमैन हितेश गूंगान ने अकेले ही लोगों की मदद का बीड़ा उठाया. हितेश ने ज़रूरी सामान और दवाइयां लोगों के घरों तक पहुंचाई. लॉकडाउन में हितेश ने ‘Entrepreneur’ की कुर्सी छोड़कर ‘डिलीवरी मैन’ का काम शुरू किया. 

 
Indiatimes Hindi से हुई बात-चीत में हितेश ने बताया कि उन्होंने 28 मार्च से बिना डिलीवरी चार्ज लिए इंदौर में घर-घर जाकर ज़रूरी सामान पहुंचाना शुरू किया. लॉकडाउन प्रोटोकॉल के दौरान, अधिकारियों के कड़े नियम क़ानून की वजह से ज़रूरी सामान पहुंचाने का काफ़ी प्रेशर था. लोग परेशान हो गये और ज़रूरत से ज़्यादा चीज़ें ख़रीदकर इकट्ठा कर ली.

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बता दें कि लॉकडाउन के शुरुआत में इंदौर में ‘कोविड-19’ के बहुत सारे केस आ रहे थे. शहर में 11 कन्टेन्मेंट ज़ोन्स थे. लोग वायरस के फैलने से ख़ौफ़जदा थे और घरों से नहीं निकल रहे थे. ज़रूरत से ज़्यादा सामान ख़रीदने की वजह से डिलीवरी में ज़रूरत से ज़्यादा समय लग रहा था. जब हितेश को पता चला कि डिलीवरी में हफ़्तों लग रहे हैं, तब उन्होंने ख़ुद ही ज़रूरी सामान डिलीवर करने की सोची. टेक्नॉलॉजी की मदद से हितेश ने लोगों की मुश्किलें आसान की.

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हितेश ने बताया कि, इस दौरान लोगों ने WhatsApp के ज़रिए डिटेल्स शेयर किये. पहले ही दिन हितेश को इंदौर के अलग-अलग क्षेत्रों से 53 ऑर्डर मिले. हितेश ने 3 दिन में सारे ऑर्डर डिलीवर किए. धीरे-धीरे हितेश का नंबर लोगों तक पहुंचने लगा और ऑर्डर्स की संख्या बढ़ने लगी. हितेश सुबह उठकर काम में लग जाते और कोविड-19 नियमों का पालन करते हुए काम करते.

मैं सेफ़्टी कारणों से डिलीवरी लोकेशन से 500-1000 मीटर दूर गाड़ी पार्क करता. लोगों के विश्वास से मुझे हिम्मत मिली. 

-हितेश गूंगान

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एक बार एक परिवार ने बच्चे के पहले बर्थडे के लिए अमूल क्रीम डिलीवर करने को कहा. मैं मना कैसे करता? मैंने कहा कि मैं अगले दिन डिलीवर कर दूंगा और मैंने सामान पहुंचाया. यही मेरे लिए सच्ची ख़ुशी है.

-हितेश गूंगान

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हितेश ने ये भी कहा कि, वो किसी को भी निराश नहीं करना चाहते थे. अगर कोई उन पर यक़ीन करते हुए काम देता तो वो उस तक ज़रूर पहुंचते. बुज़र्गों के लिए दवाइयों से लेकर, बच्चों के लिए बर्थडे केक तक डिलीवर किया.

अब तक 600 से ज़्यादा ऑर्डर करने वाले हितेश को इस दौरान कुछ अजीबो-ग़रीब बर्ताव का भी सामना करना पड़ा, लेकिन ये सब छोटी-मोटी बातें थीं. हितेश अभी भी सामान डिलीवर कर रहे हैं और उन्हें लगता है कि अब जाकर उन्होंने ज़िन्दगी में कुछ हासिल किया.