कोरोना वायरस पूरे देश पर क़हर बरपा रहा है. हर रोज़ संक्रमण के नए केस सामने आ रहे हैं. ज़्यादतर राज्यों में हालत खराब है, लेकिन इसके बावजूद कुछ लोग हैं, जिन्होंने इस महामारी को देश से जड़ से उखाड़ फेंकने की कसम खा रखी है. 65 साल के एंबुलेंस ड्राइवर बाबू भारती भी ऐसे ही लोगों में एक हैं.

उन्होंने तय कर लिया है कि जब तक वो यूपी के संभल जिले को कोरोना मुक्त ग्रीन ज़ोन में तब्दील नहीं कर देते, तब तक वो अपने घर नहीं जाएंगे. यहां तक कि वो रमज़ान में भी घर नहीं लौटेंगे.
Times of India को दिए गए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा, ‘मैं एंबुलेंस में सोता हूं. ट्यूबवेल मिलने पर नहा लेता हूं. मेरे खाने की व्यवस्था जिला अस्पताल की ओर से की जाती है, जहां मैं काम करता हूं. मैंने कोरोना वायरस के ख़िलाफ़ जंग जीतने के बाद ही घर जाने का फ़ैसला किया है.’

भारती 17 हज़ार रुपये पर जिला अस्पताल के लिए काम करते हैं. वो 42 दिन से अपने परिवार से नहीं मिले हैं.
‘मैं हर सुबह अपने परिवार से बात करता हूं ताकि उन्हें आश्वस्त कर सकूं कि मैं सुरक्षित हूं. मैं वापस नहीं जा सकता क्योंकि यहां मेरी ड्यूटी है. संक्रमण दर बढ़ने के साथ, संदिग्ध रोगियों को परीक्षण के लिए ले जाने के लिए एम्बुलेंस सेवाओं की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक बढ़ गई.’
रैपिड एक्शन टीम के प्रभारी डॉ. नीरज शर्मा ने उनके काम की सरहाना करते हुए कहा कि, ‘हम जिला अस्पताल में परीक्षणों के लिए लगभग 1,100 संदिग्ध कोरोना वायरस मरीज़ों को लाए हैं और उनमें से कम से कम 700 को भारती लेकर लाए गए. उनका समर्पण बेमिसाल है. दिन हो रात वो हमेशा एंबुलेंस के साथ तैयार रहते हैं.’

जब भारती से उनकी ख़ुद की सेहत के बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि वो पूरी तरह से ऐहतियात बरत रहे हैं. सैनिटाइजेशन और मास्क वगैरह सबका ध्यान रखते हैं.