बिहार सरकार ने कोरोना महामारी के दौरान पूर्व सूचना के बावजूद काम पर न लौटने वाले 362 डॉक्टरों को कारण बताओ नोटिस भेजा है. ये सभी डॉक्टर राज्य के उन सरकारी अस्पतालों से हैं जो इन दिनों बड़े पैमाने पर कोरोना रोगियों के इलाज में लगे हुए हैं.  

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कोरोना संकट के बावजूद ये डॉक्टर ख़ुद ब ख़ुद काम पर लौटने के बजाय सरकार के आदेश का इंतज़ार करते रहे. यहां तक कि पूर्व सूचना के बावजूद ये डॉक्टर सरकारी आदेश की अनदेखी करते रहे. इसके बाद अब नितीश सरकार ने इन सभी डॉक्टरों को कारण बताओ नोटिस भेजा है. 

बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि, 31 मार्च से 12 अप्रैल के बीच राज्य के 37 से अधिक ज़िलों में डॉक्टर ड्यूटी से अनुपस्थित रहे. अनुपस्थित रहने वाले 362 डॉक्टर कोरोनो रोगियों का इलाज कर रहे थे. 

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ये बेहद हैरान कर देने वाली ख़बर है. कोरोना संकट के बीच जब देश को डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों की सख़्त ज़रूरत है. ऐसे मुश्किल समय में ये डॉक्टर कोरोना के डर से काम पर लौटने से कतरा रहे हैं. 

बिहार में पिछले महीने डॉक्टरों व स्वास्थ्य कर्मियों पर हमले चरम पर थे. इस दौरान 1 दिन में राज्य भर में 4 मामले सामने आए थे. बिहार में डॉक्टरों का काम पर न लौटने के पीछे एक वजह देशभर में स्वास्थ्य कर्मियों पर हो रहे हमलों को भी बताया जा रहा है. लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि डॉक्टर ऐसे समय में काम करने से मना कर दे. 

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बिहार में अब तक कोरोना वायरस के 536 मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें से 4 मरीज़ों की मौत हो चुकी है. बिहार में इस समय 374 एक्टिव केस हैं, जबकि 158 मरीज़ ठीक हो चुके हैं.