‘तेरे शहर का निज़ाम बड़ा सख़्ती पसंद है

 मजबूरी तेरी रियासत में रहने के क़ाबिल नहीं

कोरोना वायरस की वजह से हुए लॉकडाउन ने, समाज में हाशिए पर ज़िंदगी गुज़ार रहे लोगों की कमर तोड़कर रख दी. लॉकडाउन से सबसे ज़्यादा प्रभावित होने वालों में से एक सड़क के किनारे ठेला लगाने वाले हैं. ये लोग बमुश्किल दो वक़्त की रोटी कमा पाते थे, लेकिन कोरोना के चलते इनका रोज़गार भी ठप पड़ गया. शायद ये भी काफ़ी नहीं था कि अब इन लोगों को आए दिन प्रशासनिक गुंडागर्दी का शिक़ार होना पड़ रहा है. 

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ताज़ा मामला मध्य प्रदेश के इंदौर का है. यहां गुरुवार को नगर निगम कर्मचारियों ने अंडे का ठेला लगाकर रोज़ी-रोटी कमाने वाले एक 14 साल के बच्चे का कथित तौर पर ठेला पलट दिया. जिन अंडों को बेचकर इस बच्चे ने शायद रात में अपने घर का आटा-दाल ख़रीदने का सोचा होगा, वो सड़क पर टूटे पड़े थे. 

इससे जुड़ा एक वीडियो भी वायरल हुआ है, जिसमें बच्चे ने कर्मचारियों पर 100 रुपये रिश्वत मांगने का आरोप लगाया है. उसने बताया कि जब वो सुबह ठेला लगाए था, तब निगम की टीम वहां पहुंची और कहा कि ठेला हटा ले, नहीं तो गाड़ी ज़ब्त कर ली जाएगी. साथ ही 100 रुपये बतौर रिश्वत मांगे. जब बच्चे ने रिश्वत नहीं दी तो उन्होंने गाड़ी को पलट दिया. उसके सारे अंडे टूट गए. 

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बच्चे ने कहा कि इस महामारी के दौरान उसकी रोज़ाना की बिक्री बहुत कम हो गई है. अब उसके अंडे का स्टॉक बरबाद होने से उसकी परेशानियां ज़्यादा बढ़ेंगी. 

सोशल मीडिया पर वायरल हुए इस वीडियो में साफ़ देखा जा सकता है कि ठेला पलटा हुआ है और अंडे सड़क पर टूटे-बिखरे पड़े हैं. मजबूर बच्चा निगम कर्मचारियों पर गुस्सा ज़ाहिर कर रहा है और कर्मचारी पीठ दिखाकर वहां से चलते बन रहे हैं. 

दरअसल, इंदौर में व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के लिए ‘लेफ्ट-राइट’ व्यवस्था शुरू की गई है. इसके तहत सड़क के दाईं ओर की दुकानों को एक दिन खोलने की अनुमति दी जाएगी और बाईं ओर की दुकानें दूसरे दिन खुलेंगी. 

इस ख़बर के वायरल होने के बाद समाज के कई लोग इस बच्चे की मदद के लिए आगे आये. जहां एक तरफ, इंदौर प्रेस क्लब ने उसकी राशन और रुपये दे कर मदद की, वहीं MLA रमेश मेंदोला ने उसे एक साइकिल भेंट की.