मैरिटल रेप को हमारे देश के क़ानून में रेप नहीं माना जाता. मैरिटल रेप पर भारतीय सरकार, सुप्रीम कोर्ट और आम जनता कि क्या राय है इससे हम सभी भली-भांति परिचित हैं. चीफ़ जस्टिस ऑफ़ इंडिया, एस.ए.बोबड़े ने विनय प्रताप सिंह नामक शख़्स की याचिका पर सुनवाई करते हुए कुछ ऐसी टिप्पणियां की जो बहुत सारे प्रश्न उठाती हैं.
Live Law की एक रिपोर्ट के अनुसार 2019 में विनय प्रताप सिंह नामक शख़्स पर एक महिला ने शादी का झांसा देकर रेप करने का आरोप लगाया था. सिंह ने महिला से शादी करने की बात कही लेकिन उसी साल किसी और महिला से शादी कर ली. सिंह का कहना था कि महिला और सिंह 2 साल तक रिलेशनशिप में थे और कन्सेन्ट के साथ ही सेक्शुअल रिलेशनसिप बनाए गए. सिंह का ये भी कहना था कि पुलिस में शिकायत तब की गई जब रिश्ता ख़राब हो गया
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में आरोपी सिंह को अरेस्ट होने से 8 हफ़्ते की राहत दे दी है. चीफ़ जस्टिस ऑफ़ इंडिया, जस्टिस बोबड़े ने कहा कि शादी का झांसा देना ग़लत है, किसी भी पुरुष या स्त्री को झूठे वादे नहीं करने चाहिए. इसके अलावा जस्टिस बोबड़े ने मैरिटल रेप पर भी बहुत बड़ा बयान दिया.
जब दो व्यक्ति पति-पत्नी की तरह साथ रहते हैं, पति कितना भी क्रूर हो, लेकिन सेक्शुअल इंटरकोर्स को रेप कहा जाएगा?
-CJI बोबड़े
महिला के वक़ील, एडवोकेट आदित्य वशिष्ठ ने कोर्ट से कहा कि सिंह ने शादी का वादा किया था और एक मंदिर में महिला से शादी भी की थी. एडवोकेट वशिष्ठ ने ये भी कहा कि सिंह ने महिला के साथ मार-पीट की थी और इस सिलसिले में मेडिकल सर्टिफ़िकेट भी जमा किया.
सीनियर एडवोकेट विभा दत्ता मखीजा, जो सिंह की वक़ील है ने कहा कि सिंह के ख़िलाफ़ लगाए जा रहे आरोप से रेप का केस नहीं बनता और महिला के कन्सेन्ट से ही सब कुछ हुआ था.