प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील पर रविवार को भारत में जनता कर्फ़्यू लागू हुआ. लोगों ने शाम 5 बजे अपनी बालकनियों में निकलकर ताली, बर्तन और घंटी बजाकर कोरोना वायरस से पीड़ित लोगों का उपचार करने वाले पेशेवर चिकित्सकों और जरूरत का सामान मुहैया कराने वाले अन्य कर्मचारियों और लोगों का धन्यवाद किया.
हालांकि, कोरोना वायरस के ख़िलाफ़ दिन-रात की परवाह किये बिना लगातार जंग लड़ रहे चिकित्सा पेशवर पीएम की अपील से खुश नहीं हैं. वो लगातार इस ख़तरनाक वायरस से लड़ने के लिए संसाधनों की मांग कर रहे हैं और अब उन्होंने अपनी मांगों के लिए ट्विटर का सहारा लिया है.
एक सर्जन ने ट्वीट किया, ‘मुझे आपकी ताली नहीं चाहिए. मैं अपनी भलाई सुनिश्चित करने के लिए आपके वास्तविक और पूरे प्रयास चाहती हूं. मुझे खुद की सुरक्षा के लिए उपकरण चाहिए. मैं अच्छी सरकारी रणनीति चाहती हूं. मैं आपके कामों में विश्वास रखना चाहती हूं. बेहतर करें.’
@narendramodi I don’t want your claps. I want your genuine and wholehearted effort in ensuring my wellbeing. I want personal protective equipment. I want better government strategies. I want to have faith in your actions. Do better.
— M (@unkittenish) March 21, 2020
वहीं, कुछ पेशेवर चिकित्सकों ने कोरोना वायरस के ख़िलाफ़ जंग में जरूरी संसाधनों की कमी पर चिंता व्यक्त की.
Today, we spent hours figuring out how to re-structure healthcare facility in our hospital. Which wards and how many beds do we assign for #COVIDー19 patients? How many ICU beds? 1/3 of hospital beds and half the ICU beds. Someone said. The numbers send a shudder down the spine.
— SP Kalantri (@spkalantri) March 21, 2020
Challenging indeed. 17 steps for donning personal protective equipment and 11 steps for safely doffing it. Nurses, technicians and doctors are unable to voice their struggle as they care for ICU patients. #Covid19 #coronavirusindia
— SP Kalantri (@spkalantri) March 21, 2020
scroll की रिपोर्ट के मुताबिक़, व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरणों को लेकर डॉक्टरों में इस वक़्त काफ़ी चिंता है. डॉक्टर को ख़ुद की सुरक्षा के लिए पूरे शरीर को ढंकने वाले बॉडी सूट की जरूरत है. साथ ही ये इसलिए भी ज़रूरी है क्योंकि डॉक्टर्स ही फ़िलहाल एक उम्मीद हैं, जो कोरोना के ख़िलाफ़ जंग जीतने में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं. अगर वो ही इस वायरस की चपेट में आ गए तो हालात और भी ख़राब हो जाएंगे.
I can see a scramble for PPE since they are in such short supply in states like ours. We still have the advantage of being a few days behind on the upslope of this pandemic… Will we heed this advice from The Lancet? https://t.co/F4b4OVjWpm
— yogesh jain (@yogeshjain_CG) March 21, 2020
संसाधनों की कमी के कारण ऐसा हुआ भी है. कुछ स्वास्थ्य कर्मचारी इस वायरस की चपेट में आए भी हैं. हाल ही में लखनऊ में एक डॉक्टर का कोरोना वायरस का रिज़ल्ट पॉज़िटिव निकला, जिसके बाद वो और उनकी पूरी टीम क्वारंटाइन की गई.
एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में चिकित्सा पेशेवरों को Covid-19 महामारी से निपटने में गंभीर स्थिति का सामना करना पड़ रहा है. उनके पास गुणवत्तापूर्ण व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरणों की कमी है. वहीं, भारतीय निर्माताओं का कहना है कि वे नहीं जानते कि स्वास्थ्य मंत्रालय के विनिर्देशों के अभाव में क्या उत्पादन करना है.
21 मार्च को Protection Wear Manufacturers Association of India के चेयरमैन डॉ. संजीव ने कहा कि हमने 12 फ़रवरी से स्वास्थ्य मंत्रालय को कई बार लिखा है और उनमें से कई लोगों से मिले भी, लेकिन आप उनकी समझदारी का अंदाज़ा इस बात से लगा सकते हैं कि एक महीना हो चुका है लेकिन अब तक निर्देश नहीं आए.
Critical Care Medicine journal के एक पेपर के मुताबिक़, भारत में प्रति एक लाख़ लोगों पर 2.3 क्रिटिकल केयर बेड उपलब्ध हैं. वहीं, इटली में एक लाख़ पर 12.5 आईसीयू बेड हैं. जबकि इटली में ज़्यादा लोगों की मौत हुई है.
In my hospital, 90% of the ventilators are occupied now, even when there are no confirmed COVID-19 case. Just imagine how the health system will cope up if the epidemic expands.
— Zeeshan Mhaskar (@MhaskarChief) March 20, 2020
हालांकि, भारत सरकार ने वेंटिलेटर का प्रोडक्शन बढ़ाने को मंज़ूरी दे दी है. लेकिन दुनियाभर में शटडाउन और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर रोक की वजह से अब देश को इनके प्रोडक्शन में कई और समस्याओं का सामना करना पड़ेगा. दूसरे देशों में वहां की सरकारों ने खुद वेटिंलेटर के लिए आदेश दिये हैं- जर्मनी ने 10 हज़ार का ऑर्डर दिया है, जबकि इटली 5 हज़ार बेड खरीदना चाहता है.