उत्तर प्रदेश पुलिस आजकल एक ऐसे केस में उलझी हुई है जिस पर आसानी से बॉलीवुड का कोई निर्देशक फीचर फ़िल्म बना सकता है. एक शख़्स केवल अपने संदेह पर भरोसे के चलते एक फ़ैसला लेता है और इस फ़ैसले के बाद सिलेसिलेवार तरीके से ऐसी चीज़ें और कहानियां सामने आती हैं, जिसकी कल्पना केवल फ़िल्मों में या मैजिकल रियलिज़्म के सहारे ही की जा सकती है.

21 साल की एक महिला को शारदा अस्पताल के डॉक्टर रविवार रात मृत घोषित कर चुके थे. महिला का डेथ सर्टीफिकेट जारी करने वाले डॉक्टरों का कहना था कि उनकी मौत फेफड़ों के इंफेक्शन की वजह से हुई है. रविवार रात करीब 11.45 बजे इस महिला ने अपनी आखिरी सांसें ली हैं.

अस्पताल के रिकॉर्ड्स के मुताबिक, महिला के पार्थिव शरीर को रात 1.27 बजे उनके पति को सौंप दिया गया था. वो अपने कुछ दोस्तों को लेकर डेड बॉडी के साथ अलीगढ़ चला गया. सुबह करीब 8 बजे महिला के अंतिम संस्कार की प्रक्रिया शुरु हो चुकी थी.

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लेकिन महिला के भाई को उसकी मौत को लेकर काफी संदेह था. ये व्यक्ति मानने को तैयार नहीं था कि उसकी बहन की मौत इंफेक्शन से ही हुई है. उसने अपनी व्यथा अलीगढ़ पुलिस को सुनाई. पुलिस ने तुरंत एक्शन लिया और शमशान घाट पहुंच कर दाह संस्कार की आखिरी प्रक्रिया को रुकवा दिया. हालांकि महिला का शरीर उस समय तक 70 प्रतिशत जल चुका था. पुलिस इसके बावजूद महिला की बॉडी को पोस्टमॉर्टम के लिए ले गई.

आनन-फानन में लिया गया ये फैसला सही साबित होने जा रहा था, क्योंकि जो अब सामने आने जा रहा था उससे कई ज़िंदगियां प्रभावित होने वाली थी. महिला की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सामने आया कि उनके शरीर में जले हुए कणों (Charred particles) की मौजूदगी थी.

एक पुलिस अधिकारी के मुताबिक, जब किसी को ज़िंदा जलाया जा रहा हो, तो ये कण सांस के साथ शरीर के अंदर पहुंच जाते हैं. लेकिन अगर कोई इंसान मृत हो तो कण, न तो फेफड़ों तक और न ही विंडपाइप तक पहुंच पाते हैं.

महिला के शरीर में इन कणों की मौजूदगी साबित करती है कि वो उस समय ज़िंदा थी जब उसे जलाया जा रहा था. अपने आपको जलता देख महिला बेहद घबरा गई और इस सदमे को झेल नहीं पाई. इस जबरदस्त शॉक की वजह से उन्होंने वहीं दम तोड़ दिया.

डॉक्टरों ने इसके अलावा महिला की एक हड्डी के टुकड़े को भी सुरक्षित कर लिया है ताकि ज़रूरत पड़ने पर इस महिला का डीएनए टेस्ट किया जा सके.

मंगलवार को महिला की मेडिकल रिपोर्ट पब्लिक हो गई और महिला के अंकल ने उनके पति और 10 लोगों के खिलाफ़ एफआईआर दर्ज करा दी. अंकल का मानना है कि महिला के पति ने गैंगरेप कर उसे मार दिया है. सभी आरोपी फरार हैं. मामले में अभी तक पुलिस ने कोई गिरफ़्तारी नहीं की है और मामले की जांच जारी है.

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वहीं शारदा हॉस्पिटल का प्रशासन अब भी इस बात पर अडिग है कि महिला की मौत रविवार की रात फेफड़ों के इंफेक्शन की वजह से ही हुई थी.

शारदा हॉस्पिटल के प्रवक्ता अजीत का कहना था कि महिला को बेहद नाज़ुक हालातों में अस्पताल लाया गया था और डॉक्टरों ने उसे बचाने की पूरी कोशिश की थी. लेकिन दुर्भाग्य से हम उन्हें बचा नहीं पाए. महिला की मौत रविवार रात 11.45 बजे ही हुई है और उनकी मौत का कारण कोई शॉक नहीं बल्कि फेफड़ों का इंफ़ेक्शन था.

महिला बुलंदशहर की रहने वाली थी लेकिन दो साल पहले वो नोएडा शिफ्ट हो गई थी. मामला बेहद पेचीदा है लेकिन महिला के पति का फरार होना इस केस को उनके लिए कमज़ोर बना रहा है. उम्मीद है यूपी पुलिस इस जटिल केस को सुलझाने में कामयाब होगी और आरुषि मर्डर केस की तरह इसे सीबीआई को सौंपने की नौबत नहीं आएगी.