दिल ये ज़िद्दी है! 

कुछ लोग सच में बहुत ज़िद्दी होते हैं. अगर एक बार मन में कुछ करने की ठान लें, तो फिर वो किसी की नहीं सुनते. ऐसे ही ज़िद्दी लोगों में बुंदेलखंड निवासी कृष्णानंद भी आते हैं. ये शख़्स इतना ज़िद्दी है कि अकेले अपने दम पर 8 बीघा तालाब खोद डाला. रिपोर्ट्स के मुताबिक, पिछले एक साल से बुंदेलखंड पानी की बूंद-बूंद को तरस रहा है. यही नहीं, सूखे की वजह से अब तक न जानें कितने किसान आत्महत्या कर चुके हैं 

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रोटी-पानी के लिये मोहताज़ बुंदेलखंड के लोगों का दर्द कृष्णानंद से देखा नहीं गया. ऐसे में उन्होंने हमीरपुर की सूख़ी और बेजान ज़मीन को हरा-भरा करने की ठानी. कृष्णानंद ने लगातार 4 साल तक जी तोड़ मेहनत की और 6 फ़ीट गहरे तालाब की खुदाई कर डाली, ताकि बारिश होने पर तालाब पानी से भरा रहे. इससे न सिर्फ़ वहां के लोगों को पानी मिलेगा, बल्कि जानवर भी अपनी प्यास बूझा सकेंगे. 

हांलाकि, कृष्णानंद ने जब ख़ुदाई के लिये फावड़ा हाथ में उठाया था, तब गांव के सारे लोग एक जुट हो कर उन्हें पागल घोषित करने में लगे थे. पर कृष्णानंद ने किसी की एक न सुनी और अपना काम करते रहे. कल तक जिस शख़्स का सभी मज़ाक बना रहे थे, आज वही शख़्स उनका हीरो बन गया है. कृष्णानंद हमीरपुर के पचखुरा गांव के एक मंदिर में रहकर संत वाला जीवन जी रहे हैं.  

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एक दशरक्ष मांझी वो था जिसने अपनी ज़िद से पहाड़ खोद कर सड़क बना दी थी और एक दशरक्ष मांझी ये है, जिसने अपनी ज़िद और लगन से सैकेड़ों लोगों की प्यास बुझा डाली.