हम 21वीं सदी में जी रहे हैं, चांद और मंगल पर पहुंच गए हैं, फिर भी कई मायनों में कई देशों से बहुत पीछे हैं. देश में कई समस्याएं हैं जो देश को पीछे धकेल रही हैं.


ऐसी ही एक समस्या है ‘इच्छानुसार विवाह करने से मचने वाला कोहराम’. 

कुछ दिनों पहले ख़बर आई कि बीजेपी के बरेली के विधायक की बेटी, साक्षी ने जाति से बाहर विवाह कर लिया है. साक्षी पुलिस से गुहार लगा रही थी कि उसके पिता और पिता के दोस्त उसके और उसके पति के जान लेने पर उतारू हो गए हैं.  

https://zeenews.india.com/hindi/india/up-uttarakhand/allahabad-gives-order-for-security-of-sakshi-mishra-and-ajitesh/552151

इसके बाद ही टीवी चैनलों, अख़बारों और सोशल मीडिया सिपाहियों में खलबली मच गई. किसी ने सरकार को लपेटा तो किसी ने लड़की पर ही उंगली उठाना शुरू कर दिया. साक्षी को बुरा-भला तो कहा ही गया उसकी हत्या करने तक की बात सोशल मीडिया सिपाहियों ने लिख डाली.


कुछ टीवी चैनल वाले भी साक्षी के मामले पर रिपोर्टिंग करने के बदले ज्ञान देने लगे. एक एंकर ने तो ‘मैं भी बेटी हूं’ वाला एंगल पकड़ लिया और साक्षी को एक तरह से दोष देने लगी. 

मध्य प्रदेश के बीजेपी विधायक, गोपाल भार्गव ने इस पूरे मामले में ऐसा शर्मनाक बयान दिया है कि शायद ही उन्हें कोई बेटी माफ़ कर पाए.   

नेता जी का ये कहना है कि अपनी मर्ज़ी से अगर लड़कियां विवाह करेंगी तो मां-बाप कन्याएं पैदा ही नहीं करेंगे. नेता जी के इस बयान से ये तो साफ़ हो गया कि वो ख़ुद नहीं चाहते कि उनकी बेटी(अगर है तो) की अपनी कोई रज़ामंदी हो.


नेता जी का ये बयान हमारे समाज में आज भी जोंक की तरह लगे हुए कन्या भ्रूण हत्या की समस्या को उजागर करता है. ये बयान ये भी बताता है कि हम कितने दोगुले समाज में रहे हैं, जहां एक तरफ़ मां दुर्गा की 9 दिनों वाली पूजा होती है, वहीं दूसरी तरफ़ बेटियों को पैदा करने को ऐसा दिखाया जाता है मानो बेटियों पर एहसान किया जा रहा हो. 

नेता जी के समर्थन में कई अन्य ‘पुरुषों’ ने भी ट्वीट दागे, जिन्हें हम लेख में नहीं डालेंगे क्योंकि इससे इस घिनौने विचार को बढ़ावा मिलेगा.   

बाद में नेता जी ने सफ़ाई देते हुए ट्वीट को ‘निजी मत’ श्रेणी में डाल दिया और अपने हाथ खींच लिए. 

नेता जी का ये बयान उन सब बेटियों का असम्मान है, जो कुछ लोगों की क्रूरता के लिए दुनिया में नहीं आ पाईं. नेता जी का बयान जीवित बेटियों का भी असम्मान है. सिर्फ़ क्षमा याचना कर लेने से ही उनका दोष कम नहीं होता.