महाराष्ट्र के औरंगाबाद में हुए ट्रेन हादसे ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया. मध्य प्रदेश स्थित अपने घरों की ओर पैदल लौट रहे मज़दूर थक कर पटरी पर सो गये थे और एक मालगड़ी ने उन्हें रौंद दिया. ये मज़दूर जालना से औरंगाबाद, लगभग 45 किलोमीटर चले थे और 120 किलोमीटर चलकर भुसावाल जा रहे थे, इस उम्मीद में कि उन्हें घर जाने के लिए कोई ट्रेन मिल जायेगी.


News18 की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस हादसे में बच गये एक मज़दूर ने बताया कि उन मज़ूदरों ने हफ़्तेभर पहले E-transit के लिए आवेदन दिया था. अधिकारियों की तरफ़ से जब कोई जवाब नहीं आया तब उन्होंने पैदल ही अपने घरों को जाने का निर्णय किया.  

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News18 से बातचीत में बच गये 3 मज़दूरों में से एक, धीरेंद्र सिंह ने बताया कि मज़दूरों का काम बाक़ी था पर उनका परिवार भी घर पर था इसलिए वो मध्य प्रदेश पहुंचने का और इंतज़ार नहीं कर सकते थे. 

हमने E-Pass की अर्ज़ी डाली थी लेकिन मध्य प्रदेश के अधिकारियों से कोई जवाब नहीं मिला. 

– धीरेंद्र सिंह

धीरेंद्र इसलिए बच गये क्योंकि वो बाकी से थोड़ी दूर पर चल रहे थे. धीरेंद्र का कहना है कि उन्होंने बाकी मज़दूरों को शोर करके उठाने की कोशिश की. सारे मज़दूर जालना स्थित एक लोहे की फ़ैक्ट्री में काम करते थे.


मज़दूरों के लिए पिछले हफ़्ते सरकार ने ‘श्रमिक’ स्पेशल ट्रेन चलाने की घोषणा की थी. एक रिपोर्ट के अनुसार, 1 मई से अब तक रेलवे ने 200 श्रमिक स्पेशल ट्रे चलाई हैं और लगभग 2 लाख मज़दूरों को घर पहुंचाया है.  

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E-pass के लिए बनाये गये पोर्टल में कई दिक्कतें आ रही हैं, या तो Pass बनकर नहीं आ रहा या Invalid Pass बन रहा है.