सोमवार को केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन और आर्टिकल 370 को हटाने से संबंधित संकल्प को राज्यसभा में बहुमत से पास करा लिया. साथ ही जम्मू-कश्मीर को संविधान द्वारा दिए गए विशेष राज्य के दर्जे को भी वापस ले लिया गया है. इसके साथ ही लद्दाख को जम्मू कश्मीर से अलग कर दिया गया है. अब जम्मू कश्मीर विधानसभा वाला केन्द्र शासित प्रदेश होगा, जबकि लद्दाख बिना विधानसभा वाला केन्द्र शासित प्रदेश रहेगा.  

सुप्रीम कोर्ट में मिल सकती है चुनौती

भले ही आर्टिकल 370 को हटा दिया गया हो, लेकिन अब भी पूरी तरह से लागू होने से पहले इसे कुछ अड़चनों का सामना करना पड़ सकता है. इनमें सबसे पहला है इसे ‘असंवैधानिक’ बताकर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है. इसके लिए संविधान के आर्टिकल 370 में निर्धारित प्रावधानों को आधार बनाया जा सकता है. बता दें कि संविधान में अस्थायी आर्टिकल 370 को समाप्त करने का एक विशिष्ट प्रावधान निर्धारित है.  

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संविधान सभा की अनुमति ज़रूरी 

संविधान के आर्टिकल 370 (3) के अंतर्गत 370 को बदलने के लिए जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा की अनुमति ज़रूरी है. लेकिन इसमें सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा को साल 1956 में ही भंग कर दिया गया था. साथ ही संविधान सभा के भंग होने से पहले आर्टिकल 370 के बारे में स्थिति भी स्पष्ट नहीं की गई थी कि ये स्थायी होगा या इसे बाद में समाप्त किया जा सकेगा.  

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क्या कह रहे हैं कानून के जानकार?  

सीनियर एडवोकेट एम.एल. लाहौटी कहते हैं कि आर्टिकल 370 (3) में कहा गया है कि राष्ट्रपति संविधान सभा की सहमति से ही विशेष दर्जा वापस ले सकते हैं. ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या नए संवैधानिक आदेश को संविधान सभा की सहमति है? क्योंकि ये सभा तो 1956 में ही भंग हो गई थी. राष्ट्रपति के आदेश में कहा गया है कि संविधान सभा को विधानसभा पढ़ा जाए.  

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कहां आ रही है असल दिक्कत?  

जम्मू-कश्मीर में इस समय विधानसभा भंग है. इसलिए चुनी हुई सरकार के सभी अधिकार गवर्नर के पास हैं. राज्य के गवर्नर की सिफ़ारिशों के बाद ही राष्ट्रपति ने इस प्रावधान को समाप्त करने का आदेश दिया है. लेकिन राष्ट्रपति के इस फ़ैसले पर भी सवाल उठने शुरू हो गये हैं, जैसे कि क्या गवर्नर की सहमति को राज्य सरकार की सहमति माना जाएगा? 

लोकसभा के पूर्व सेक्रेटरी जनरल पी.डी.टी. अचारी भी मानते हैं कि राष्ट्रपति के आदेश को चुनौती देने का सबसे बड़ा पॉइंट संविधान सभा हो सकता है. 

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जम्मू-कश्मीर को विशेष बनाने वाले संविधान के आर्टिकल 370 के प्रावधान को सरकार ने जिस तरह ख़त्म किया, उसे कश्मीरी दलों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की बात कही है. पूर्व आईएएस शाह फ़ैसल की पार्टी से जुड़ीं शेहला राशिद ने सोमवार को ट्वीट कर इस फ़ैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का ऐलान किया है.  

शेहला ने कहा कि ‘जम्मू-कश्मीर सरकार को गवर्नर से और संविधान सभा को विधानसभा से बदलकर ये कदम उठाया गया है जो संविधान के साथ धोखा है.