पिछले कुछ दिनों से दिल्ली NCR में प्रदूषण से हाहाकार मचा हुआ है. दिल्ली में प्रदूषण की मुख़्य वजह हरियाणा-पंजाब में किसानों द्वारा पराली जलाए जाने को बताया जा रहा है. दिल्ली सरकार इसके लिए लगातार हरियाणा-पंजाब के साथ-साथ केंद्र सरकार को भी ज़िम्मेदार ठहरा रही है. 

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दिल्ली में लगातार बढ़ रहे प्रदूषण के चलते पहले ही हेल्थ इमरजेंसी घोषित की गई है. और अब आज से दिल्ली में ऑड-इवन भी शुरू हो गया है.   

तो चलिए देखते हैं दिल्ली और पंजाब में वर्तमान एयर क़्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) कितना हैं? 

राजधानी दिल्ली का हाल तो आप सभी को मालूम ही होगा. दिल्ली में अब भी ‘एयर क़्वालिटी इंडेक्स’ 400 के पार है. बीते रविवार को दिल्ली का AQI 494 था जबकि शुक्रवार को AQI 500 था. 

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पंजाब में पराली जलाए जाने के कारण यहां के कुछ प्रमुख शहरों का AQI ‘गंभीर’ और ‘बहुत गंभीर’ श्रेणियों के अंतर्गत है. इस मामले में पटियाला ‘एयर क़्वालिटी इंडेक्स’ 425 के साथ टॉप पर है. हालांकि, पंजाब के कुछ शहरों का AQI दिल्ली के मुक़ाबले बेहद कम है. 

दिल्ली के मुक़ाबले पंजाब के शहरों में प्रदूषण कम 

‘केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड’ के मुताबिक़, बीते रविवार को पंजाब के शहरों में AQI का स्तर कुछ इस तरह से था- अमृतसर में 295, बठिंडा में 291, चंडीगढ़ में 254, जालंधर में 317, लुधियाना में 337, खन्ना में 360, मंडी गोबिंदगढ़ में 381, पटियाला में 415 और रूपनगर में 275 हैं.   

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पंजाब-हरियाणा का पड़ोसी होने के चलते राजधानी दिल्ली हर साल प्रदूषण की चपेट में आ जाती है. पराली जलती तो है दिल्ली से 100 किमी दूर लेकिन हवा के साथ इसका धुंआ दिल्ली की आबो हवा को ख़राब कर देता है. 

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2 नवंबर तक, पंजाब में पराली जलाए जाने के कुल 25,314 मामले सामने आए हैं. बीते रविवार को 2,856 मामलों की पुष्टि की गई. पिछले साल, 3 नवंबर तक पंजाब भर में कुल 25,380 मामले दर्ज किए गए थे जबकि साल 2017 में ये संख्या 30,867 थी. 

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पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (PPCB) द्वारा उपलब्ध कराए जा रहे आंकड़ों के आधार पर ज़िला प्रशासन ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के पराली जलाने पर प्रतिबंध का उल्लंघन करने वाले किसानों के ख़िलाफ़ कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है. 

हालांकि, हरियाणा और पंजाब में स्मॉग के लिए पराली जलाए जाने को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है, लेकिन ऐसा नहीं है. दिल्ली इसका जीता जागता उदाहरण है. प्रदूषण फ़ैलने के अन्य कारण भी हैं.