दिल्ली हिंसा मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने जामिया मिलिया इस्लामिया विश्विद्यालय की छात्रा सफ़ूरा ज़रगर को दी ज़मानत दे दी है. इसके साथ ही कोर्ट ने 4 शर्तें भी रखी हैं.
बता दें कि ‘जामिया मिलिया इस्लामिया समन्वय समिति’ की सदस्य सफ़ूरा ज़रगर पर दिल्ली हिंसा की साजिश रचने के आरोप लगे हैं. तिहाड़ जेल में बंद सफ़ूरा प्रेग्नेंट हैं. इसी के चलते उनका परिवार पिछले कई दिनों से सफ़ूरा को ज़मानत पर रिहा करने की मांग कर रहा था. सफ़ूरा को 10 अप्रैल को गिरफ़्तार कियाा गया था.
पिछले 2 महीने में कई बार ज़मानत याचिका रद्द होने के बाद आख़िरकार केंद्र सरकार सफ़ूरा ज़रगर को मानवीय आधार पर जेल से छोड़ने को तैयार हो गई है. मंगलवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने उनकी ज़मानत अर्जी मंजूर कर ली है. इस मामले में केंद्र ने कहा कि सफ़ूरा को मानवीय आधार पर छोड़ने को लेकर उसे कोई आपत्ति नहीं है.
इन 4 शर्तों के साथ मिली जमानत
केंद्र सरकार की ओर से हाईकोर्ट में पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी कि जमानत अवधि के दौरान सफ़ूरा ज़रगर दिल्ली छोड़कर कहीं न जाएं. केंद्र की स्वीकृति को देखते हुए जस्टिस राजीव शखधर की पीठ ने 10 हज़ार रुपये के निजी मुचलके पर सफ़ूरा को सशर्त जमानत दे दी.
इस दौरान सफ़ूरा ज़रगर की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता नित्य रामकृष्णन ने बताया कि सफ़ूरा को अपने डॉक्टर से सलाह लेने के लिए फ़रीदाबाद जाना पड़ सकता है.
जानकारी दे दें कि सफ़ूरा ज़रगर को अत्यधिक कठोर कानून UAPA के प्रावधानों के तहत गिरफ़्तार किया गया है. दिल्ली पुलिस ने सफ़ूरा को फ़रवरी में ‘संशोधित नागरिकता कानून’ के ख़िलाफ़ प्रदर्शन के दौरान भड़काऊ भाषण देने को लेकर गिरफ़्तार किया था. पुलिस के मुताबिक़, इन भाषणों से दिल्ली में हिंसा भड़की थी.
बता दें कि कुछ दिन पहले ही दिल्ली पुलिस ने दिल्ली हाईकोर्ट में दाखिल स्टेटस रिपोर्ट में सफ़ूरा ज़रगर को जमानत पर रिहा किए जाने का विरोध किया था.