भारत में कोरोना वायरस का क़हर जारी है. देशभर में ठंड बढ़ने के साथ ही कोरोना मरीज़ों की संख्या भी लगातार बढ़ती ही जा रही है. देश की राजधानी दिल्ली का कोरोना से हाल बेहाल है. दुनिया के अन्य शहरों के मुक़ाबले दिल्ली में कोरोना के सबसे ज़्यादा मरीज़ सामने आ रहे हैं.

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दुनिया के अन्य शहरों में जहां कोरोना मरीज़ों की संख्या लगातार घाट रही है वहीं दिल्ली में मामले लगातार बढ़ रहे हैं. नवंबर माह दिल्ली के लिए काल बनकर सामने आ रहा है. दिल्ली में 11 नवंबर को कोरोना के रिकॉर्ड 8,593 मरीज़ दर्ज किए गए थे. 8 नवंबर को 7,745, 10 नवंबर को 7,830 जबकि 13 नवंबर 7,802 को मामले सामने आये थे.

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राजधानी दिल्ली में कोरोना मरीज़ों की संख्या बढ़ने के साथ ही केंद्र सरकार ने दिल्ली के अस्पतालों में कोविड स्पेशल बेड और खासकर आईसीयू बेड तत्काल बढ़ाने का सुझाव दिया है. केंद्र ने प्रति 10 लाख की आबादी पर 500 लोगों के कोरोना पीड़ित होने के आकलन के मुताबिक आईसीयू बेड की संख्या बढ़ाकर क़रीब 6,431 तक करने की सलाह दी है. दिल्ली के अस्पतालों में अभी 3,491 कोविड स्पेशल आईसीयू बेड हैं, जिनमें 88% भरे हुए हैं.

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रविवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में हुई मीटिंग में केंद्र और दिल्ली सरकार के कई सीनियर ऑफ़िसर भी शामिल थे. इस मीटिंग में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी मौजूद थे. मीटिंग में 12 फ़ैसले लिए गए जिनमें कुछ पर काम शुरू हो चुका है.

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पैरामिलिट्री डॉक्टर व मेडिकल स्टाफ दिल्ली बुलाए गए 

दिल्ली में कोरोना की बिगड़ती स्थिति को देखते हुए असम, तमिलनाडु, गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान जैसे राज्यों से क़रीब 75 सेंट्रल पैरामिलिट्री डॉक्टरों और 250 पैरामेडिकल स्टाफ़ को दिल्ली बुलाया गया है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बताया कि कुछ डॉक्टर और स्टाफ़ दिल्ली पहुंच भी चुके हैं. मंगलवार से हर दिन 10 हज़ार आरटी-पीसीआर टेस्ट बढ़ाए जाने हैं.

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नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल ने कहा, ‘दिल्ली में अभूतपूर्व स्थिति पैदा हो गई है और आने वाले हफ़्तों में इसकी स्थिति और भी ख़राब हो सकती हैं. पिछले कुछ हफ़्तों से दिल्ली में कोरोना से बचाव के नियमों की बड़े पैमाने पर धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. ऊपर से वायु प्रदूषण का स्तर भी बढ़ रहा है.