वो है, तो सिर्फ़ एक कैब ड्राईवर. पर अब देबेंद्र कापड़ी सिर्फ़ एक टैक्सी ड्राइवर नहीं, एक सुपरहीरो भी बन गए हैं. 3 मई को देबेंद्र ने मुबिशर वानी को नई दिल्ली हवाई-अड्डे से अपनी काली-पीली टैक्सी में बिठाया और पहाड़गंज इलाके तक छोड़ दिया.
वानी तो उतर गए पर अपना बैग भूल गए.
एक कैब ड्राईवर की ज़िन्दगी आसान नहीं होती होगी, हमने कईयों को 10 रुपए ज़्यादा लेकर भी गाड़ी भगाते देखा है. फिर भी लालच नहीं किया देबेंद्र ने.
देबेंद्र वापस हवाई-अड्डे गए और पुलिस के पास बैग जमा कर दिया.
Good Samaritan, driver of a prepaid taxi, Debender Kapri returns bag & valuables of 8 lakh, being rewarded @CPDelhi @BaniwalDP @DelhiPolice pic.twitter.com/idtYa3LRIU
— DCP IGI Airport (@DCPIGI) May 4, 2017
दिल्ली हवाई अड्डे के डीसीपी, संजय भाटिया ने बताया,
‘देबेंद्र ने जो बैग हमारे पास जमा किया, उसमें विदेशी करेंसी, गहने, लैपटॉप, iPhone जैसा कीमती समान था. इसके अलावा बैग में पासपोर्ट, वीज़ा जैसे कई ज़रूरी दस्तावेज़ भी थे.’
पुलिस को बैग में एक शादी का कार्ड भी मिला, जिसमें एक फोन नंबर लिखा था, नंबर मिलाने पर पता चला कि वो वानी के भाई का फोन नंबर था. थोड़ी देर बाद मुबिशर वानी को उनका बैग सही सलामत मिल गया.
देबेंद्र ने वो कर दिखाया, जो आजकल दुनिया में कम ही देखने को मिलता है. बड़े शहरों में तो और कम, क्योंकि यहां लोगों को दौड़ने से फ़ुर्सत ही नहीं मिलती, ठहरेंगे तब तो किसी का ग़म या दुख देखेंगे.
10 मई को रेडियो मिर्ची से कुछ लोगों ने देबेंद्र से बाच-चीत की. बातों-बातों में पता चला कि देबेंद्र पर 70,000 रुपए का कर्ज़ है. मिर्ची वालों ने देबेंद्र को स्टूडियो में बुलाया और स्टूडियो में ही देबेंद्र की सहायता के लिए एक Fundraiser प्रोग्राम शुरू किया.
मिर्ची मुर्गा वाले RJ Naved ने, मिर्ची सुनने वालों और दिल्ली वालों से देबेंद्र की मदद करने की अपील की.
‘Milaap’ के गौरव शर्मा ने ‘Help This Honest Taxi Driver Repay His Loan’ नाम से एक कैंपेन शुरू किया. मकसद था देबेंद्र के लिए 70,000 इकट्ठा करना.
गौरव ने HuffPost से बातचीत में बताया,
‘हमें पता चला कि देबेंद्र के ऊपर 70,000 रुपए का कर्ज़ है. हमने देबेंद्र को मिर्ची पर बुलाया और दिल्लीवालों से देबेंद्र की मदद करने की अपील की.’
दिल्लीवालों ने दिलेरी दिखाई और 1 घंटे के अंदर देबेंद्र के लिए 70,000 रुपए जमा हो गए. 11 बजे तक भी मदद करने वालों का तांता लगा रहा और 90,000 रुपए जमा हो गए. दिल्ली वालों ने पैसों के साथ-साथ देबेंद्र के लिए तारीफ़ों के पुल बांध दिए.
देबेंद्र को उनकी ईमानदारी का फल तुरंत मिल गया और दिल्लीवालों ने तो कमाल ही कर दिया.
इस ख़बर को लिखते हुए भी ग़ज़ब की खुशी महसूस हुई. इंसानियत अभी बाकी है मेरे दोस्त!
Source: Huffington Post