केन्द्र सरकार ने बीते गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में स्वीकार किया कि उन्होंने श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के यात्रियों का किराया नहीं दिया है.


एक रिपोर्ट के अनुसार, बीजेपी प्रवक्ता, संबित पात्रा ने कहा था कि यात्रा किराये का 85% केन्द्र सरकार दे रही है और बाक़ी का 15% राज्य सरकार.  

National Herald

28 मई को मज़दूरों के हालात पर दायर की कई PIL पर सुप्रीम कोर्ट के 3 न्यायाधीशों की पीठ ने Virtual Hearing की. केन्द्र सरकार की तरफ़ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यात्रियों का किराया, श्रमिक ट्रेन शुरू होने वाले राज्य और गंतव्य राज्य मिलकर उठा रहे हैं.


सॉलिसिटर जनरल मेहता ने ये भी कहा कि मज़दूरों से किराया नहीं लिया जा रहा.  

Outlook

बीते 1 मई को भारतीय रेलवे ने मज़दूरों के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेनों की घोषणा की थी. एक रिपोर्ट के अनुसार, 2 मई को जारी किए गये रेलवे के नोटिफ़िकेशन के मुताबिक़, राज्य सरकारों को यात्रा का किराया यात्रियों से लेकर रेलवे को सौंपना था. इस निर्णय पर काफ़ी बवाल हुआ जिसके बाद केन्द्र सरकार ने किराया 85-15, केन्द्र और राज्य में विभाजित करने का निर्णय लिया.


इसी बात को दोहराते हुए रेलवे के एक कर्मचारी ने The Print को बताया ‘ट्रने चलाने में कई चीज़ों के पैसे लगते हैं, टिकट बस उसका एक हिस्सा है. सरकार ने कोर्ट में जो कहा वो पिछली बात से अलग नहीं है.’  

सुप्रीम कोर्ट ने बीते गुरुवार को मज़दूरों की बदहाली पर ग़ौर करते हुए कई निर्देश दिए.