राजस्थान के जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय की भू-वैज्ञानिक टीम ने 150 करोड़ साल पहले मौजूद डायनासोर के पैरों के निशान खोज निकाले हैं. विवि की इस टीम का दावा है कि उन्हें यूब्रोंट्स ग्लेनिरोसेसिस थेरोपॉड डायनासोर के पैरों के निशान मिले हैं.

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1 से 3 मीटर लंबे होंगे ये

इन निशानों का गहन अध्ययन करने के बाद यह पता चला कि ये तटीय वातावरण में ज़्यादा रहते थे. जैसलमेर ज़िले के पास लाठी में ये पैरों के निशान मिले हैं. इस खोज को अंजाम देने में डॉ. वीरेन्द्र सिंह परिहार, डॉ. सुरेश चंद्र माथुर और डॉ. शंकर लाल नामा ने अपना योगदान दिया था. डॉ परिहार ने बताया कि, “ इन डायनासोर के पैरों के निशान लगभग 30 सेंटीमीटर तक लंबे रहे होंगे. डायनासोर की ये प्रजाति यहां के अलावा फ्रांस, इटली, स्वीडन, स्पेन, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका में पाई जाती थी. इनके पैरों की उंगलियां मजबूत होंगी और इनका शरीर 3 से 6 मीटर तक लंबा-चौड़ा रहा होगा.” कच्छ बेसिन और जैसलमेर बेसिन ऐसे इलाके हैं, जहां डायनासोर के और अवशेष मिलने की संभावना है.

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इस तरह की खोज से हमारी दुनिया से डायनासोर के लुप्त होने के राज़ सामने आने की संभावना बढ़ जाती है.

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