बंगाल के बेलूरघाट घाट के मजबूर मां-बाप अपने अपंग बच्चों को लेकर दर-दर भटक रहे हैं, लेकिन कहीं से कोई मदद नहीं मिल पा रही. अपने बच्चों को मिलने वाला 600 रुपये का विकलांगता भत्ता पाने में असक्षम मां-बाप अपने बच्चों के अकाउंट को आधार कार्ड से लिंक नहीं करवा पा रहे हैं.

मां, मीना मंडल अपनी बेटी मामोनी को लेकर धक्के खा रही हैं, ताकि उसका आधार कार्ड बन सके. मामोनी पैदा ही अपंग हुई थी. मामोनी और उसके भाई राजू को 100% अपंग घोषित किया गया है. राजू को भत्ता मिलना अभी शुरू नहीं हुआ है.

मीना ने बताया कि आधार कार्ड बनाने के लिए किया जाने वाला Eye Scan लेट के कर पाना मुमकिन नहीं होता और उनकी बेटी बैठ पाने में असक्षम है. मीना ने किसी तरह अपनी 21 वर्षीय बेटी को बैठाने की कोशिश की लेकिन कार्ड नहीं बन पाया. वो कई दिनों से आधार कार्ड बनवाने के लिए परेशान हो रही हैं, क्योंकि इसके बिना बैंक बेटी को मिलने वाले भत्ते के पैसे रिलीज़ नहीं कर रहा है.

पति चंचल मंडल ईंटे बिछाने का काम करते हैं. उन्हें अपने दोनों अपंग बच्चों की देखभाल करने के लिए पर्याप्त पैसे नहीं मिल पाते. मामोनी के ठीक होने की कोई गुंजाईश नहीं है. राजू सात साल पहले तक ठीक था, लेकिन एक न्यूरल डिसऑर्डर के कारण वो भी जीवन भर के लिए कॉमा में चला गया है.

बेलूरघाट पंचायत समिति की तरफ़ से दोनों को हर महीने 600 रुपये का भत्ता मिलना तय हुआ है, जिसे दो महीने से ये परिवार नहीं निकाल पा रहा है.

एडिशनल ज़िला मजिस्ट्रेट, अमलकांति रॉय ने प्रशासन को इस परिवार की मदद करने को कहा है.

डॉक्टर्स ने कहा है कि सही ट्रीटमेंट मिलने से राजू ठीक भी हो सकता है, लेकिन इन परेशानियों को झेलने के बाद परिवार की उम्मीद टूटती नज़र आ रही है.