देश में कितने भी स्मार्ट सिटीज़ और बुलेट ट्रेन आ जाएं लेकिन देश तब तक पूरी तरह विकसित नहीं हो सकता जब तक हर एक देशवासी की भूख शांत करने वाले किसानों का विकास नहीं होता. दुख की बात है कि किसानों के विकास के लिए चलाई जाने वाली कई योजनाओं के बावजूद आज किसान ही भूखे सोते हैं या फिर उनको उनकी मेहनत का सही मूल्य नहीं मिलता.
किसानों के फ़ायदे के लिए ही मध्य प्रदेश में भावांतर भुगतान योजना लाई जा रही है, लेकिन किसान इस योजना से खुश नहीं हैं. इसका सुबूत नीमच कृषि उपज में देखने को मिला.
यहां उपज का सही दाम ना मिलने से नाराज़ एक किसान ने अपनी उपज को आग के हवाले कर दिया.
नई दुनिया में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, मंदसौर ज़िले का एक किसान मंडी में ‘चिरायता’ बेचने गया था. सुबह किसान ने 490 रुपये प्रति क्विंटल की बोली लगाई लेकिन दूसरे दौर में 400 रुपये प्रति क्विंटल की ही बोली लगी. किसान ने बहुत कोशिश की लेकिन उसे अपनी खेती के उचित दाम नहीं मिले.
किसान को इस घटना से काफ़ी ठेस पहुंची. आवेश में आकर उसने अपनी पूरी फ़सल में आग लगा ली. अचानक हुई इस घटना से मंडी में मौजूद लोगों के बीच अफ़रा-तफ़री मच गई. आनन-फ़ानन में बहुत से लोग किसान के आस-पास इकट्ठा हो गए. आग को मंडी में फैलने से रोकने के लिए घटनास्थल पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने दमकल कर्मियों को सूचित किया. दमकल कर्मियों ने आग पर काबू पा लिया. मंडी में मौजूद किसानों में भड़क रही अंसतोष रूपी गुस्से की आग को मंडी प्रशासन और पुलिसकर्मियों ने शांत करने की कोशिश की.
सोचिये कितना मजबूर होगा वो किसान जिसने अपनी ही महीनों की मेहनत पर खुद ही आग लगा ली. किसानों के विकास की बात तो नेता चुनाव रैलियों में गला फाड़-फाड़कर करते हैं, लेकिन ज़मीनी हक़ीक़त कुछ और ही कहती है. जब देश का पेट पालने वाला किसान ही भूखा सो रहा हो, तो कोई तकनीक देश का विकास नहीं कर सकती.