अब तक हमने कई ख़बरें ऐसी देख लीं जहां कोविड- 19 से मारे गये शख़्स के प्रति, लोग सम्मान नहीं दिखा रहे थे. कहीं ऑटो में लाश को ले जाया जा रहा था तो कहीं 2 दिन तक लाश को लेने कोई नहीं पहुंचा था.
पेडापल्ली के Dr Pendyala Sriram, ज़िला मेडिकल सर्वेलेंस ऑफ़िसर हैं और बीते रविवार को ड्यूटी पर थे. अस्पताल में कोई ऐंबुलेंस नहीं था और म्युनिसिपाल्टी द्वारा दिये गये ट्रैक्टर के ड्राइवर ने लाश को शमशान ले जाने से मना कर दिया था.
अस्पताल के स्टाफ़ को भी ठीक से नहीं पता था कि शव को कैसे हैंडल करना है. पैकिंग प्रोटोकॉल के बारे में भी सही से जानकारी नहीं थी, क्योंकि ये अस्पताल की पहली मृत्यु थी. अस्पताल में सिर्फ़ एक महिला मेडिकल अफ़सर और कुछ नर्सें थीं. अस्पताल में बॉडी को 4 डिग्री सेल्शियस पर प्रीज़र्व करने के लिए Mortuary भी नहीं है. ऐंबुलेंस भी नहीं था.
-डॉ. स्रीराम
अस्पताल से कॉल आने के बाद डॉ. स्रीराम वहां पहुंचे.
अस्पताल के अधिकारी बॉडी को जल्दी से जल्दी डिस्पोज़ करना चाहते थे और परिवारवाले भी Anxious थे. मैंने अपने सीनियर्स, पुलिस और लोकल मुनसिपाल्टी अधिकारियों से बात की और बॉडी के अंतिम संस्कार के लिए व्यवस्था की.
-डॉ. स्रीराम
मुनसिपाल्टी वालों ने ट्रैक्टर तो भेज दिया पर ड्राइवर गाड़ी छोड़कर भाग गया. तब डॉ. स्रीराम ने ख़ुद ट्रैक्टर चलाने का निर्णय लिया. विकेंड पर डॉ. स्रीराम करीमनगर में खेती-बाड़ी करते हैं इसलिए वो ट्रैक्टर चलाना जानते थे.
मैं उस परिवार के चेहरे पर भी वही दर्द साफ़-साफ़ देख रहा था.
-डॉ. स्रीराम
कोविड- 19 से मारे गये मरीज़ों का अंतिम संस्कार एक समस्या बन गया है. कई बार परिवारवाले भी अंतिम संस्कार के लिए बॉडी नहीं ले रहे हैं.