चिकित्सा पेशेवर इस वक़्त दो मोर्चों पर लड़ाई लड़ रहे हैं. एक तरफ़ वो लोगों की ज़िंदगियां बचाने के लिए दिन-रात काम कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ़ उन्हीं लोगों से भेदभाव का शिकार भी हो रहे हैं. आलम ये है कि ख़ुद की जान ख़तरे में डालकर हमारी ज़िंदगी बचाने वालों को अपने ही घर से बाहर होना पड़ रहा है. ताज़ा मामला दिल्ली के द्वारका है. यहां फ्रंटलाइन में काम कर रहे एक युवा डॉक्टर को अपने पड़ोसियों के कारण घर छोड़ने को मजबूर होना पड़ा. अब वो अपने पालतू कुत्ते के साथ OYO होटल के एक कमरे में रहने पर मजबूर हैं.
Indiatoday की रिपोर्ट के मुताबिक़, डॉक्टर मणि शंकर माधव, मदन मोहन मालवीय अस्पताल में मेडिकल ऑफ़िसर हैं. उनका घर द्वारका में है. उनकी सोसायटी वाले उन्हें ‘कोरोना कैरियर’ समझकर भेदभाव कर रहे थे. सोसायटी वालों के इस रवैये से दुखी होकर उन्होंने घर छोड़कर लाजपत नगर के होटल के कमरे में रहने का फैसला कर लिया.
उन्होंने बताया, ‘मैं OYO रूम में रह रहा हूं. दो दिन पहले अपने पालतू कुत्ते के साथ यहां आया हूं. लॉकडाउन खत्म होने तक मैं यहीं से अस्पताल जाऊंगा.’
डॉ. माधव ने आगे बताया कि, ‘मेरे ऊपर ‘कोरोना कैरियर’ का लेबल लगा दिया गया. मेरे पड़ोसी मुझे इग्नोर करते थे… मुझे अपमानित महसूस होता था. मैं दुखी था. यहां तक उन्होंने मेरे मेड को कॉम्प्लेक्स में नहीं आने दिया.’
हालांकि, हाउसिंग कॉम्प्लेक्स प्रबंधन ने इस बात से इनकार किया कि उनके साथ बुरा व्यवहार किया गया है.
ये कोई पहली बार नहीं है, जब चिकित्सा पेशेवरों या कोरोना वॉरियर्स के साथ इस तरह का व्यवहार किया गया हो. इसके पहले भी कई रिपोर्ट्स आई हैं, जिनमें लोगों ने इन होरीज़ के साथ बुरा बर्ताव किया है.