देश में एक तरफ़ कोरोना वायरस से लोगों की ज़िंदगियां बचाने के लिए हेल्थ वर्कर्स की जमकर सराहना हो रही है. वहीं, दूसरी ओर आंध्रप्रदेश में एक डॉकटर को चिकित्सकों के लिए सुरक्षा की गुहार लगाना महंगा पड़ गया. डॉक्टर को अधिकारियों ने मेंटल हॉस्पिटल भेज दिया है. 

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दरअसल, कुछ महीने पहले डॉ. सुधाकर राव ने चिकित्सकों के लिए एन95 मास्क की कमी पर सवाल उठाया था. उन्होंने दावा किया था कि विशाखापट्टनम के जिस हॉस्पिटल में वो काम करते हैं, वहां पर्याप्त प्रोटेक्टिव गाउन और मास्क नहीं दिए जा रहे हैं. इसके बाद डॉ. सुधाकर को निलंबित कर दिया गया. 

BBC की रिपोर्ट के मुताबिक़, पिछले दिनों सड़क पर पुलिस और उनके बीच हुए हंगामे के बाद अब अधिकारियों ने उन्हें मेंटल हॉस्पिटल में एडिमट करवा दिया है. 

बता दें, पिछले दिनों कई वीडियोज़ सोशल मीडिया पर वायरल हुए थे, जिसमें पुलिस द्वारा उनकी पिटाई की जा रही थी. वीडियो में डॉ. सुधाकर ने कमीज़ नहीं पहनी हुई थी. एक पुलिस कॉन्स्टेबल ने उन्हें लात मारकर ज़मीन पर गिरा दिया. सुधाकर ज़मीन पर लेटे हुए थे और कॉन्स्टेबल उन्हें बुरी तरह पीट रहा था. 

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सरकार ने जिस तरह से इस पूरे मामले को हैंडल किया था, उसकी काफ़ी आलोचना की जा रही है. लोगों का कहना है कि डॉक्टर को जायज़ मांग उठाने की सज़ा दी जा रही है. 

हिरासत में लिए जाने से पहले डॉ. राव ने स्थानीय पत्रकारों से बात की और कहा कि उन्हें रोका गया और पुलिस द्वारा जबरन कार से बाहर निकाल दिया गया. 

 ‘पुलिसवालों ने मेरा फ़ोन और पर्स छीन लिया. मुझे मारा भी गया.’ 

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डॉ. राव और उनके परिवार का आरोप है कि उन्हें आवाज़ उठाने की सज़ा दी जा रही है. वहीं, पुलिस अधिकारियों का दावा है कि इस घटना को स्थानीय लोगों द्वारा प्रकाश में लाया गया था, जिन्होंने शिकायत की थी कि एक शराबी व्यक्ति सड़कों पर ग़लत व्यवहार कर रहा है. हालांकि, किसी भी प्रत्यक्षदर्शी ने आधिकारिक तौर पर इस बयान समर्थन नहीं किया है. फ़िलहाल डॉ. राव को दो हफ़्तों के लिए निगरानी में रखा जाएगा.