इंसान के स्वार्थ की कोई सीमा नहीं होती है. लेकिन क्या कोई इतना स्वार्थी भी हो सकता है कि वो खुद के पैर पर कुल्हाड़ी मारे और उफ़्फ़ तक न करे. बिल्कुल होता है. कोरोना वायरस से लोगों की जान बचा रहे स्वास्थ्य पेशेवरों के साथ हो रहे व्यवहार को देखकर तो ऐसा ही लग रहा है.
जनता कर्फ़्यू के दौरान रविवार को खूब शंख, घंटी, ताली और थाली बजाई थी, लेकिन अब वही लोग उन्हीं होरोज़ को घर में पनाह तक नहीं देना चाहते हैं. मकान मालिक अपने किरायदार को महज़ इसलिए निकाल रहे हैं क्योंकि वो नर्स है और कोरोना के मरीजों का इलाज कर रही है. इसके पीछे वजह ये है कि लोगों का लगता है कि ये लोग कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्तियों के लिए काम कर रहे हैं. ऐसे में इनके भी वायरस के चपेट में आने की संभावना है.
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indianexpress की रिपोर्ट के मुताबिक़, कोलकाता में 30 वर्षीय एक महिला, जो कि कोरोना वायरस के लिए नमूनों का परीक्षण करने वाली National Institute of Cholera and Enteric Diseases (NICED) टीम का हिस्सा है, को दक्षिण कोलकाता में उसके मकान मालिक ने जगह छोड़ने के लिए कहा था. हालांकि एनआईसीईडी अधिकारियों के हस्तक्षेप के बाद ही मकान मालिक ने उसे रहने दिया.
ऐसा ही मामला कोलकाता के एक प्राइवेट हॉस्पिटल में भी देखने को आया है. इस हॉस्पिटल में काम करने वाली 15 नर्सों के लिए अस्पताल को वैकल्पिक व्यवस्था करनी पड़ी है, क्योंकि इनके मकान मालिकों ने इन्हें घर खाली करने को कहा है. दरअसल, इस हॉस्पिटल में एक 55 साल के शख्स की कोरोना वायरस से मौत हो गई थी. जिसके बाद मकान मालिकों ने इन नर्स के साथ ऐसा व्यवहार किया.
नाम न ज़ाहिर होने की शर्त पर एक नर्स ने बताया कि, ‘काम को लेकर हम पर पहले ही बहुत ज़्यादा स्ट्रेस है. ऐसे में जब आपका मकान मालिक साफ़ कह दे कि आपको तुंरत घर खाली करना होगा तो ये बेहद परेशान करने वाला है, हम खुशनसीब हैं कि हॉस्पिटल ने हमारी मदद की.’
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यहां तक कि, जब निजी अस्पताल के कर्मचारियों ने निमटोला श्मशान के लिए स्वास्थ्य दिशानिर्देशों का पालन करते हुए 55 वर्षीय व्यक्ति के शरीर को ले जाने की कोशिश की तो, स्थानीय लोगों ने न केवल आपत्ति जताई बल्कि चिकित्सा कर्मचारियों को भी हटा दिया. पुलिस और कोलकाता नगर निगम के अधिकारियों ने आखिरकार सुनिश्चित किया कि शव का अंतिम संस्कार किया जाए.
ऐसी बहुत से उदाहरण हैं, जो डॉक्टर, नर्स, पायलट, एयरहोस्टेस और अन्य पेशों से जुड़े लोगों के दर्द को भी बयां करते हैं. सोशल मीडिया पर कई वीडियो वायरल हो रहे हैं, जिनमें कोरोना वायरस से जंग लड़ने वाले लोग अपनों से हारने की कहानी बयां कर रहे हैं. एयलाइन में काम करने वाली एक महिला का भी वीडियो आया था, जिसमें वो रोते-बिलकते अपने साथ हो रहे दुर्व्यवहार को बता रही थी.
Can’t believe how people are treating our airline crew. This @IndiGo6E crew is nearly broken from being discriminated & taunted. When she is gone for her flight, her mother is even refused groceries in her society. Police is also not helping. @amitshah #coronavirus #india. pic.twitter.com/yuuTnYhqKq
— Tarun Shukla (@shukla_tarun) March 24, 2020
भारत के सिविल एविएशन मिनिस्टर हरदीप सिंह पुरी ने ट्वीट कर इन घटनाओं पर दुख जताया था. उन्होंने लिखा, ‘ये जानकर दुख हो रहा है कि कुछ एयरलाइन के कर्मचारियों को पड़ोसियों और दूसरे लोगों की ओर से परेशान किया जा रहा है. मैं प्रशासन से कहूंगा कि इन लोगों की मदद और सुरक्षा करें.’
वास्तव में ये सब बहुत दुखद है. कल्पना कीजिए अगर आप या आपका कोई परिवार वाला कोरोना वायरस से संक्रमति हो, तब आप क्या करेंगे. यही वो लोग हैं, जो आपकी मदद करेंगे. ये लोग दिन-रात हमारी सुरक्षा के लिए काम कर रहे हैं, ऐसे में ये सबकी जिम्मेदारी बनती हैं कि हम उन्हें किसी भी तरह की तकलीफ़ न दें और अगर कोई दूसरा परेशान करे तो उसे रोकें.