कर्नाटक का एक छोटा जिला Kalaburagi. देश के IT Hub बैंगलुरु से करीब 650 किलोमीटर दूर इस जिले में एक ऐसे रैकेट का पर्दाफ़ाश हुआ है, जो पैसों के लिए दलित और गरीब महिलाओं का गर्भाशय ही आॅप्रेशन कर के हटा देता था.

अगस्त 2015 में ही पकड़ा गया था रैकेट

इस रैकट का पर्दाफ़ाश अगस्त 2015 में ही हो गया था और स्वास्थ्य विभाग द्वारा बनी जांच कमेटी ने अक्टूबर 2015 में इस मामले में चार अस्पतालों का लाइसेंस रद्द कर दिए थे. पर इसके बावजूद भी ये चारों अस्पताल आज भी काम कर रहे हैं.

2200 महिलाओं का गर्भाशय निकाल चुके हैं

ये मामला फ़िर सामने तब आया जब पीड़ित महिलाओं ने कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं और एनजीओ के साथ मिलकर इसके खिलाफ़ आवाज़ उठाई. इस मामले में पीड़ितों के सा​थ Alternate Law Forum, विमोचन और स्वराज अभियान जैसे एनजीओ सामने आए. ALF के सदस्य विनय श्रीनिवासन ने बताया कि ये अस्पताल ये सब जल्दी पैसे बनाने के लिए करते थे. सरकार को डॉक्टरों के खिलाफ़ एक्शन लेना चाहिए.

2015 में आई रिपोर्ट के हिसाब से इन अस्पतालों में ‘Hysterectomies’ यानि गर्भाशय को हटाए जाने वाला आॅप्रेशन बेवजह ही की गई थी. बहुत सारी महिलाएं पेट दर्द या किसी और छोटी मोटी ​बीमारी के साथ वहां गई थीं. इन महिलाओं का पहले अल्ट्रासाउंड होता था और फ़िर दवाई के लिए बुलाया जाता था. बाद में उन्हें बता दिया जाता था कि उनके गर्भाशय में कैंसर हो सकता है, इसलिए उन्हें Hysterectomies सर्जरी करानी चाहिए.

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इसी डर के मारे काफ़ी महिलाओं ने ये आॅप्रेशन करा लिया.

रिपोर्ट में उस इलाके की आशा आंगनवाडी में काम कर रही महिलाओं के शामिल होने की भी बात लिखी है. ​इसमें अधिकतर म​हिलाएं गरीब थीं और करीब 50%, 40 साल से कम की थीं.

लोगों में आक्रोष है कि सरकार ने सिर्फ़ लाइसेंस रद्द किया पर हॉस्पिटल अभी तक चल रहा है और किसी डॉक्टर की गिरफ़्तारी नहीं हुई.