‘मोमो’ वो शब्द जिसे सुनते ही कई लोगों के मुंह में पानी आ जाता है. दिल्ली के हर गली-कूचे पर तो मोमो अब यूं बिकने लगे हैं, जैसे बाकि देश में गोल-गप्पे मिलते हैं. भले ही ये भारतीय डिश न हो, लेकिन तीखी लाल चटनी के साथ परोसे जाने वाले नरम मोमोज़ ने लोगों को ऐसा दीवाना बनाया है कि स्ट्रीट फ़ूड के राजा गोल-गप्पे भी इनकी मौजूदगी में खुद को असुरक्षित महसूस करने लगे हैं. लेकिन सभी मोमो प्रेमियों के लिए एक चौंकाने वाली ख़बर सामने आई है. जिन नॉन-वेज मोमोज़ को आप चिकन मोमोज़ समझ कर रज-रज कर खाते हैं, उनमें कुत्ते का मीट हो सकता है.

WordPress

ये ख़बर सुन कर कई लोगों के पैरो तले ज़मीन खिसक गयी है. दिल्ली में कुत्ते का मीट खाना आम नहीं है, लेकिन बाहरी पर्यटक इसकी मांग ज़रूर करते आए हैं.

एनफोर्समेंट विंग की टीम ने मोमोज़ की दुकानों पर छापे मारे, साथ ही फ़ूड क्वालिटी की जांच कराई गई. जांच के बाद 20 दुकानें बंद करा दी गईं हैं. दिल्ली कैंट एरिया की आर्मी कैंटीन इलाके में मोमोज़ बेचने पर रोक लगा दी गई है. दिल्ली कैंट के सीईओ के मुताबिक एनफोर्समेंट विंग ने एक टास्क फ़ोर्स बनाई है. इलाके की हर मोमोज़ की दुकान की जांच करने को कहा गया है.

दिल्ली कैंट बोर्ड के सीईओ रेड्डी शंकर बाबू के दावे के मुताबिक, ये भी नहीं कहा जा सकता है कि दिल्ली में हर जगह नॉनवेज मोमो में कुत्ते का ही मांस होता है. अभी दिल्ली के कैंट एरिया में ही ऐसा शक जताया गया है.
Wikimedia

शंकर ने बताया कि ऐसी शिकायत मिल रही थी कि मोमो वाले कुत्ते के मीट वाले मोमो बेच रहे हैं. कुछ वक़्त पहले ऐसा ही एक मामला गुड़गांव से आया था. पॉश इलाके से पालतू कुत्ते गायब हो रहे थे. सीईओ को शक है कि स्टॉल लगाने वाले ऐसा कर सकते हैं.

उन्होंने बताया कि विदेशी पर्यटक जब दिल्ली में आते हैं, तो कुत्ते के मीट की डिमांड करते हैं. विदेशी पर्यटकों की मांग को पूरा करने के लिए कुछ लोग आवारा कुत्तों का शिकार करते हैं. एक रिसर्च के मुताबिक, कुत्ते का मांस ज़्यादा दिन तक फ्रेश रहता है.

आज के बाद अगर कोई नॉन-वेज मोमो खाने गया और उसके पास से कोई मासूम कुत्ता गुज़र गया, तो कसम तीख़ी लाल चटनी की, बन्दे के गले से मोमो नहीं उतर पायेगा.