कुत्ता मनुष्य का सबसे करीबी जानवर होता है. वो मनुष्य का सबसे वफ़ादार और पालतू जानवर होता है. मनुष्य ने सबसे अधिक कुत्तों के व्यवहार का अध्ययन किया और कुछ ऐसे तथ्य निकाले, जिनसे भविष्य में होने वाली घटनाओं को जाना जा सकता है. कुत्ते हमारे इतने क़रीब होते हैं कि वो हमारी बातें आसानी से समझ जाते हैं. शोध से पता चलता है कि वो हमसे अधिक बुद्धिमान होते हैं. उसका व्यवहार हमारे ऊपर निर्भर करता है. यदी हम रिलैक्स और शांत प्रवृति के हैं, तो हमारे पालतू कुत्ते भी शांत और रिलैक्स होंगे. वहीं, अगर हमारा स्वभाव चिड़चिड़ापन और गुस्सैल है, तो हमारे कुत्ते का भी स्वभाव इसी तरह का होगा.
कुत्ते हमारे साथ करीब 30,000 साल से साथ में रहते आए हैं. ऐसे में वे हमें बहुत अच्छे से जानते हैं. कुत्तों की केवल नाक ही तेज़ नहीं होती, बुद्धि भी काफ़ी तेज़ होती है. हाल ही में टोरंटो में हुए एक मनोविज्ञान सम्मेलन में कनाडा के ही एक मनोवैज्ञानिक स्टैनली कोरेन ने बताया कि कुत्ते लगभग उतने ही बुद्धिमान होते हैं, जितना ढाई साल का कोई बच्चा. वे क़रीब ढाई सौ शब्द और भाव-भंगिमाएं याद रख सकते हैं.
मिरर की एक रिपोर्ट के अनुसार, पालतू कुत्ते के मालिकों का जैसा स्वभाव होता है, वैसा स्वभाव उनके कुत्तों का हो जाता है. 132 पालतू कुत्ते और उनके मालिकों के बीच हुए एक अध्ययन में ये बातें सामने आई हैं.
शोध में ये पता चला है कि मालिकों के व्यवहार के आधार पर ही कुत्तों के हार्मोंस में बदलाव आते हैं. वे अपने मालिकों के व्यवहार का अनुसरण करते हैं. अध्ययन में इस बात की भी जानकारी मिली है कि अपने मालिक के स्वभाव के अनुसार, कुत्ते भी चिल्लाते हैं और गुर्राते हैं.
इसके शोधार्थी Iris Schoberl हैं, उन्होंने इस लेख को PLOS One मैगजीन में पब्लिश करवाया है. अपने शोध के बारे में Iris कहते हैं कि मानव व्यवहार को कुत्ते आसानी से समझ सकते हैं.
शोध कहता है कि भाव, प्यार, लगाव और संबंध का असर कुत्तों पर भी होता है. विज्ञान की दुनिया में इसे ‘भावनात्मक लगाव’ कहते हैं. कुत्ते भी नई चीज़ों से घबराते हैं. वो जल्दी किसी चीज़ को नहीं अपना पाते हैं. नए कमरे, नई जगह और दूसरे कुत्तों से सामना करने में उन्हें काफ़ी तकलीफ़ होती है.
कुत्तों के व्यवहार का अध्ययन करने वाले Carolyn Menteith कहते हैं, लोग यह भूल जाते हैं कि आपके कुत्ते आपके बारे में अध्ययन करते हैं. वे आपकी हरेक गतिविधियों पर नज़र रखते हैं. वो आपको देख कर समझ जाते हैं कि क्या सही चल रहा है और क्या ग़लत.
शोध में ये भी जानकारी मिली है कि महिलाओं के पास रहने वाले कुत्ते बहुत ही कम सोशल होते हैं. वे अंदर से चिढ़े रहते हैं. वहीं पुरुषों के पास रहने वाले कुत्ते ज़्यादा सोशल और खुशमिज़ाज होते हैं.