बूचड़खाने में जानवरों पर किस तरह से अत्याचार किया जाता है, वो किसी से छिपा नहीं है. बूचड़खाने के हालातों को देखकर उन्हें क्रूरता का घर कहना कतई गलत नहीं है, पर चीन में बूचड़खाने की तस्वीर सभी तरह की क्रूरताओं को पीछे छोड़ती हुई दिखाई दे रही है.

दरअसल ख़बरों के मुताबिक हर साल चीन में 11 मिलियन से भी ज़्यादा गधों को उनकी चमड़ी के लिए मार दिया जाता है. गधों की चमड़ी का इस्तेमाल करके प्राचीन चीनी चिकित्सा शैली से दवाइयां बनाई जाती हैं, जिनका इस्तेमाल खून के प्रवाह को बनाये रखने के लिए किया जाता है. एनिमल राइट्स के लिए काम करने वाली संस्था PETA ने चीन में इन गधों पर होने वाले अत्याचार का भांडा फोड़ा है, जिसके बाद ऑस्ट्रेलिया ने भी ज़िंदा जानवरों के चीन भेजे जाने पर पाबंदी लगा दी है.

PETA के प्रवक्ता का कहना है कि ‘बूचड़खानों में गधों के साथ बड़ी ही दरिंदगी की जाती है. उन्हें छड़ी से पीटने के साथ ही दर्दनाक तरीके से मारा जाता है. इनके खाने-पीने की व्यवस्था के नाम पर काई से भरा गंदा पानी ही उपलब्ध होता है. यहां कई गधे ऐसे हैं, जो पहले से ही बीमार या घायल हैं.’

ऑस्ट्रेलिया के पूर्व डिप्टी प्राइम मिनिस्टर Barnaby Joyce खुद इस खुलासे के बाद काफ़ी चौंके हुए हैं. वो कहते हैं कि ‘गधों का मीट ऑस्ट्रेलियाई रेस्टोरेंट्स में नहीं परोसा जाता, पर चीन में इसका भरपूर इस्तेमाल होता है.’