किसी ने ठीक ही कहा है, कोई भी बच्चा अकेले नहीं मरता, उसकी मौत के बाद उसके माता-पिता हर रोज़ हज़ार मौतें मरते हैं. गोरखपुर के बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज अस्पताल में 5-6 दिनों के अंदर 70 बच्चों की मृत्यु हो गई.
सोचने वाली बात है कि सरकारी अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से इतने सारे बच्चों की मृत्यु हो गई. वही सरकार जो पशुओं के प्रति भी महरबान है. सरकारी महकमे की बुराई तो हर तरफ़ हो रही है, पर संकट की इस घड़ी में भी एक फ़रिश्ते के कारण कुछ जानें बच गईं.

इस इंसान का नाम डॉ.काफ़ील खान है.

रिपोर्ट्स के मुताबिक, अस्पताल के Encephalitis वॉर्ड के चीफ़, डॉ. ख़ान ने एक प्राइवेट नर्सिंग होम से 3 ऑक्सीजन सिलेंडर मंगवाए. 10 अगस्त की रात को अस्पताल स्टाफ को इस बात का अंदाज़ा था कि 2-3 घंटे में अस्पाल में ऑक्सीजन ख़त्म हो जाएगा. जब स्टाफ़ ने स्पलायर्स को फ़ोन कर के ऑक्सीजन भेजने को कहा, तो वे पहले के बकाया पैसे मांगने लगे.
ANI के ट्वीट के मुताबिक सरकार ने डॉक्टर कफ़ील खान को उनके पद से बर्ख़ास्त कर दिया है, शायद सरकार को उनकी अच्छाई नहीं बल्कि उनका पद नज़र आया.
Dr. Kafeel Khan removed as the Nodal Officer for the Department of Pediatrics of Baba Raghav Das Medical College, #Gorakhpur.
— ANI UP (@ANINewsUP) August 13, 2017
जब डॉ.कफ़ील को पता चला कि एक लोकल सप्लायर कैश के बदले सिलेंडर देने को तैयार है, तब उन्होंने अपने डेबिट कार्ड से पेमेंट कर ऑक्सीजन सिलेंडर मंगवाए.

प्रदेश के मुख्यमंत्री का कहना है कि बच्चों की मृत्यु सिर्फ़ ऑक्सीजन की कमी से नहीं हुई है, बल्कि कई अन्य कारणों से भी हुई है. बच्चों की जान जिस देश में किसी पशु से भी सस्ती हो, वहां के सरकार की नींद खुलवाने के लिए 70 बच्चों की बलि भी कम है. तभी तो सरकारी महकमे पल्ला झाड़ने में लग गए हैं.
ये पूरा मामला यहीं ख़त्म नहीं हुआ. डॉ. कफ़ील की पूरी ज़िन्दगी को खंगालने का काम भी सरकारी महकमे और तथाकथित धर्म रक्षक बख़ूबी कर रहे हैं. सोशल मीडिया, जहां देश के बड़े-बड़े फैसले, जैसे कि कौन देशप्रेमी है और कौन गद्दार आदि लिए जाते हैं, वहां पर लोग दो भागों में बंट गए. एक तरफ़ वे लोग खड़े हो गए जो योगी जी का समर्थन कर रहे हैं और कफ़ील को कसूरवार ठहरा रहे हैं वहीं दूसरी तरफ़ वे लोग जो कफ़ील को मसीहा समझ रहे हैं.
#StandWithDrKafeelHis Name is Khan& ➡He’s a Hero Who Saved Lives Targeted by an Incompetent, Vicious Govt#SackYogi #GorakhpurMassacre pic.twitter.com/EuThEFZpIW
— Geet Varun (@geetv79) August 13, 2017
Bhakths are trying to defame #KafeelKhan with their own version of fake stories just coz he is a muslim. No matter what! He is a hero. pic.twitter.com/MjjFWLX8L6
— Keerthi🌹 (@realkeerthi) August 13, 2017
ट्विटर और फ़ेसबुक पर बहुत से लोग डॉ. खान के Support में भी लिख रहे हैं, लेकिन उनकी बेइज़्ज़ती करने वालों की तादाद कम नहीं है.
#StandWithDrKafeel Those who are responsible sacked someone who tried to help humanity Bad luck it’s politics ,religion above humanity 😥
— P@nk@j (@keh_ke_lungaa) August 13, 2017
#KafeelKhan is villain here, he misused oxygen cylinders 4 his pvt hospital N is @INCIndia supporter. Saw his twit now he locked #Gorakhpur
— usha mohan (@ushamohan1) August 13, 2017
#KafeelKhan a Media Hero :- Arrested in 2009 for sitting in Exam for another person- Rape Accused- Runs private nursing home: Medispring
— Anshul Saxena (@AskAnshul) August 13, 2017
WhatsApp और फ़ेसबुक पर डॉ. खान के धर्म को लेकर भी बातें बनाई गई. कुछ लोगों ने ये तक कहा कि वे मुस्लिम बच्चों को बचा रहे थे हिन्दुओं को नहीं. बर्ख़ास्त होने तक की ज़िल्लत तक वे उबर भी नहीं पाए थे कि अब उन्हें अपनी देशभक्ति भी साबित करनी पड़ रही है. पूरा खेल राजनीति का है और बलि का बकरा मासूम बच्चे बन गए.
डॉ. कफ़ील पर छींटाकशी करने वाले उन्हें बलात्कारी बता रहे हैं. पर एक सवाल है जो हर इंसान नज़रअंदाज़ कर रहा है, वो ये कि वो 70 बच्चे बेमौत मारे गए. क्या उनकी चिता पर रोटियां सेंकना जायज़ है? अगर वो डॉक्टर बलात्कारी था तो सरकार ने जांच क्यों नहीं करवाई? कुछ महानुभाव तो इस घटना को भी हिन्दु-मुस्लिम झगड़ों से जोड़ रहे हैं.
आज आज़ादी के 70 साल की पूर्व संध्या पर खुद से सवाल करें, कि उन 70 से ज़्यादा बच्चों की मौत आकस्मिक थी या उनका ख़ून हुआ था?
Feature Image Source: DNA