विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ब्रिटेन में हुए क्लीनिकल ट्रायल के शुरूआती नतीजों का स्वागत किया है जिसमें पाया गया है कि डेक्सामेथासोन (Dexamethasone) दवा COVID-19 के गंभीर रागियों की जान बचाने में सक्षम है.

ये परिक्षण ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी की एक टीम ने किया था. 2,104 रोगियों को डेक्सामेथासोन दिया गया और उनकी तुलना उन 4,321 रोगियों से की गई जिन्हें यह दवा नहीं दी गई थी.

जो मरीज़ वेंटिलेटर पर थे उन पर इस दवा के इस्तेमाल के बाद मृत्युदर घट कर एक-तिहाई रह गयी. जिन्हें सिर्फ़ ऑक्सीजन की ज़रूरत पड़ रही थी, उनमें पांचवें हिस्से के बराबर मरने का ख़तरा कम हो जाता है. इस परीक्षण के एक मुख्य शोधकर्ता ने कहा,

ये अब तक की एकमात्र ऐसी दवा है जिसने मृत्यु दर को कम किया है, काफ़ी कम किया है. ये एक बड़ी सफ़लता है. डेक्सामेथासोन सस्ती है, आसानी से उपलब्ध है, और इसे जान बचाने के लिए तुरंत इस्तेमाल किया जा सकता है.

शोधार्थियों का कहना है कि हर 8 गंभीर तरह से बीमार मरीज़ों में से 1 की जान इस दवाई से बच सकती है.

डेक्सामेथासोन क्या है?

डेक्सामेथासोन एक स्टेरॉयड है जिसका उपयोग 1960 के दशक से सूजन संबंधी विकारों और कैंसर सहित कई अन्य स्थितियों में सूजन को कम करने के लिए किया जाता रहा है. 


ये 1977 से WHO की आवश्यक दवाइयों की मॉडल सूची में कई रूपों (Multiple Formulations) में सूचीबद्ध है और वर्तमान में ज़्यादातर देशों में ऑफ़-पेटेंट और सस्ते में उपलब्ध है. 

New Scientist

क्या ये सस्ती है?

ये दवा काफ़ी सस्ती है. US में इसका औसत खुदरा मूल्य $50 (3000 रुपये) से कम है जबकि UK में इसकी कीमत लगभग £5 (477 रुपये) है. मुख़्य शोधकर्ता प्रोफेसर पीटर हॉर्बी के अनुसार,

डेक्सामेथासोन से 10 दिनों तक इलाज चलता है और इसका ख़र्च £5 (428 रुपये) प्रति मरीज़ है. तो एक जान बचाने में केवल £35 (3000 रुपये) ख़र्च होते हैं. ये एक ऐसी दवा है जो विश्व स्तर पर उपलब्ध है.
BBC

क्या मैं बिना प्रिस्क्रिप्शन के दवा ले सकता हूं?

नहीं, बिल्कुल नहीं.

इस दवा को ICU में भर्ती गंभीर मरीज़ों की नस में इंजेक्ट किया जाता है और कम गंभीर रोगियों को टैबलेट के रूप में दिया जाता है. ये कोई ऐसी दवा नहीं है कि जिसे यूं ही ख़रीद लिया जाए. जिन मरीज़ों में कोरोना वायरस के बहुत साधारण लक्षण दिखते हैं और जिनको ऑक्सीजन की कोई ज़रूरत नहीं, उनमें अब तक इस दवा का कोई सकारात्मक परिणाम देखने को नहीं मिला है.

स्रोत: WHO और BBC