बीते रविवार दिल्ली में ‘नागरिकता (संशोधन) अधिनियम’ के समर्थन में केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह की जनसंपर्क रैली के दौरान घर बालकनी से रैली का विरोध करने वाली दो महिलाओं को उनके मकान मालिक ने घर से निकाल दिया है.
पेशे से महिला वकील सूर्या रजप्पन ने कहा कि रविवार को केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह दिल्ली के लाजपत नगर में ‘नागरिकता (संशोधन) अधिनियम’ के समर्थन में घर-घर जाकर संपर्क कर रहे थे. इस दौरान मैंने अपनी फ़्लैटमेट के साथ इसके विरोध में घर की बालकनी से एक बैनर दिखाया था. जब मकान मालिक को इसकी जानकारी हुई तो उन्होंने हमें घर खाली करने को कह दिया.
मैंने और मेरी साथी ने अपने अपार्टमेंट की बालकनी से उस समय बैनर दिखाये जब अमित शाह के नेतृत्व में रैली हमारी गली से गुजर रही थी. इस दौरान हमने बैनर के दोनों तरफ़ सीएए व एनआरसी के साथ ही बड़े अक्षरों में शेम (शर्म) जयहिंद, आज़ादी और ‘नॉट इन माई नेम’ भी लिखा था.
इस दौरान रैली में शामिल लोग हमारे विरोध से गुस्सा हो गए और हमें अपशब्द कहने लगे. इसके बाद हमारे अपार्टमेंट के नीचे सड़क पर लगभग 150 लोगों की भीड़ जमा हो गयी. इन लोगों ने बालकनी में लटके हमारे बैनर फ़ाड़ दिए. यहां तक कि कुछ लोगों ने तो सीढ़ियों से चढ़कर हमारे फ़्लैट तक पहुंचने की कोशिश भी की थी. इसके बाद हमें धमकी दी कि अगर उन्हें ऊपर नहीं आने दिया तो दरवाजा तोड़ दिया जाएगा.
पुलिस के हस्तक्षेप के बावजूद वो हिंसक रूप से हमारा दरवाजे को पीटते रहे और चिल्लाते रहे. कई बार हस्तक्षेप करने के बाद हमारे दोस्तों और पेरेंट्स को एक पुलिस अधिकारी के साथ परिसर में प्रवेश करने की अनुमति दी गई. इसके हमारे मकान मालिक ने बताया कि हमें मकान से निकाल दिया गया है.
मैंने कभी सोचा तक नहीं था कि शांतिपूर्ण विरोध के बदले हमें ऐसी हिंसक प्रतिक्रिया मिलेगी. तभी से हमें अपनी जान का खतरा सताने लगा है. पिछले दो दिनों से हमने ख़ुद को घर में बंद कर लिया.
पुलिस ने इस मामले में इकट्ठी भीड़ के ख़िलाफ़ FIR दर्ज़ कर ली है.