चुनाव जब भी आते हैं, नेता EVM यानि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (Electronic Voting Machine) को लेकर उधम काटना शुरू कर देते हैं. पिछले कुछ सालों से तो कुछ ज़्यादा EVM हैक होने के आरोप लगने लगे हैं. आज हम आपको इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन सी जुड़ी कुछ बेहद रोचक जानकारियां देने जा रहे हैं.

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EVM क्या है और ये कैसे काम करती है?
इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन वोटों को रिकॉर्ड करने वाली एक इलेक्ट्रानिक डिवाइस है. इसमें दो यूनिट होती हैं. पहली कंट्रोल और दूसरी बैलेटिंग यूनिट. ये पांच मीटर लंबी केबल से जुड़ी होती है. जब आप वोट डालने जाते हैं,तो चुनाव अधिकारी बैलेट मशीन के ज़रिए वोटिंग मशीन को ऑन करता है. फिर आप अपनी पसंद के प्रत्याशी और उसके निशान के आगे बने बटन को दबाकर वोट दे सकते हैं.

एक मशीन पर कितने उम्मीदवार होते हैं?

आख़िर कितनी होती है एक EVM की क़ीमत?
अब सवाल ये है कि एक इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन की क़ीमत कितनी होती है. बता दें, M2 ईवीएम की लागत क़रीब 8670 रुपये थी. वहीं, M3 की क़रीब 17,000 प्रति यूनिट लागत आती है. एक मशीन के लिए ये लागत देखने में भले ही ज़्यादा लगे, मगर वास्तव में ये बैलट पेपर की तुलना में कम ही है और सुविधाजनक भी.
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चुनाव आयोग के अनुसार, हर निर्वाचन के लिए लाखों की संख्या में बैलट पेपर छपवाने, उनके ट्रांसपोर्ट, स्टोरेज वगैरह पर जो ख़र्च होता था, वो इस मशीन के चलते अब नहीं होता. वहीं, वोटों की गिनती में भी बहुत कम समय लगता है. पहले वोटों की गिनती में 30 से 40 घंटे का समय लगता है. अब ये काम महज़ 3 से 5 घंटे के अंदर हो जाता है. इसके साथ ही मशीन फर्ज़ी मतों को अलग कर देती है, जिससे ऐसे वोटों को गिनने में लगने वाले समय और ख़र्च में ख़ासी कमी आई है.