एसिड अटैक की जितनी भी घटनाओं के बारे में सुना जाता है, उनमें अधिकतर केस महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ़ रहते हैं. आज तक इसका पता नहीं चला कि किन कारणों से लोग इस हद तक किसी की ज़िन्दगी बर्बाद करने का बेतुका फ़ैसला लेते हैं. ज़्यादातर मामलों में आदमी का ईगो टूटना, उसे किसी की तरफ़ से रिजेक्शन मिलना या ज़रा सी झड़प होना कारण बनता है. लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि आदमियों पर एसिड अटैक नहीं होते. जितना शर्मनाक एक औरत पर हुआ एसिड अटैक है, उतना ही ग़लत एक आदमी पर हुआ एसिड हमला है.

बेंगलुरु के प्रकाशनगर का रहने वाला एल. जयकुमार एक लड़की के साथ रिलेशनशिप में था. लेकिन किसी वजह से दोनों का रिश्ता आगे नहीं बढ़ पाया. ब्रेकअप भी इस शर्त पर किया गया कि जयकुमार किसी दूसरी लड़की से शादी नहीं करेगा. उसकी गर्लफ्रेंड लीडिया फिसिबा का धर्म और जयकुमार का धर्म अलग था, इसलिए भी दोनों की शादी नहीं हो सकी. क्योंकि लीडिया के परिवारवाले जयकुमार को शादी के लिए अपना धर्म बदलने के लिए मजबूर कर रहे थे, लीडिया भी यही चाहती थी. लेकिन जयकुमार इसके लिए राज़ी नहीं था. आखिरकार दोनों ने अलग होना बेहतर समझा.

जयकुमार की ओकलिपुरम में कपड़े की एक दुकान है और वो लीडिया के घर के पास ही रहता है. लीडिया को अपने कुछ पड़ोसियों से पता चला कि जयकुमार के घरवाले उसके लिए लड़की देखे रहे हैं. जैसे ही उसको ये बात पता चली, उसने घर पर टॉयलेट साफ़ करने लके लिए रखा एसिड उठाया और विजयनगर पाइपलाइन के पास पहुंच गयी. उसे पता था कि जयकुमार हर सोमवार को यहां मंदिर आता है. लीडिया ने जयकुमार के वहां पहुंचते ही उस पर एसिड फेंका और सर्जिकल ब्लेड से उस पर अटैक भी कर दिया.

वो उसी वक़्त वहां से भाग गयी. जयकुमार इस वक़्त खतरे से बाहर है, लेकिन उसकी गर्दन तेज़ाब की वजह से जल चुकी है और उसके दोनों गाल पर ब्लेड के बुरे घाव हुए हैं.

लीडिया ने अपना जुर्म क़ुबूल लिया है, उसे एक रिश्तेदार के घर से पकड़ा गया था.

एसिड की खरीद-फ़रोख्त पर काफ़ी पहले बैन लग चुका है, लेकिन इसे अभी भी दुकानों पर धड़ल्ले से बेचा जाता है और इसी लापरवाही की वजह से कई जिंदगियां बर्बाद हुई हैं.

Source: TOI

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