14 फ़रवरी की शाम जम्मू कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले में 42 जवान शहीद हो गए थे. ये फ़ियादीन हमला सीआरपीएफ़ के 2500 जवानों के एक काफ़िले पर किया गया था. इसमें राजस्थान के सीकर ज़िले के रहने वाले राजकुमार झाझड़िया भी सफ़र कर रहे थे. वो इस हमले में बाल-बाल बचे हैं. उन्होंने इस वीभत्स बम धमाके का आंखों देखा हाल बयां किया है.   

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राजकुमार झाझड़ियां इस काफ़िले की एक बस को ड्राइव कर रहे थे. जिस वक़्त ये धमाका हुआ, उससे चंद सेकेंड पहले ही वो उस जगह से आगे बढ़े थे. उन्हें अपने साथियों को खोने का बहुत दुख है. उसी दुखी मन से उन्होंने बताया कि साथियों के ज़मीन पर बिखरे टुकड़ों को उठाना, उनके जीवन की सबसे बुरी याद बन गई है. 

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राजकुमार ने कहा, सीआरपीएफ़ की 78 गाड़ियां कतार में चल रही थीं, मेरी बस सबसे आगे थी. अचानक ज़ोरदार धमाका हुआ और मैंने पीछे की एक बस को हवा में उड़ते देखा. अफ़रा-तफ़री मच गई. कुछ साथी संभल नहीं सके, कुछ ने उन्हें संभाला और बाकी मोर्चा संभालने लगे. सड़क पर हमारे साथियों के चिथड़े पड़े हुए थे.

राजकुमार और उनके दूसरे साथी घायल जवानों की मदद में जुट गए. इसी बीच पूरे देश में पुलवामा आतंकी हमले की ख़बर फैल गई. राजकुमार के घर वालों को भी पता चला और वो लगातार उन्हें फ़ोन करने लगे. चार घंटे कोशिश करने के बाद जब परिवार वाले हार गए, तब राजकुमार ने ख़ुद फ़ोन कर उनके सही सलामत होने की बात बताई. 

उन्होंने कहा कि मैं तो ज़िंदा हूं, लेकिन मैंने अपने साथियों को अपने सामने मरते हुए देखा है. कायरों ने मेरे साथियों की जान ले ली, वे अमर हो गए. उनकी शहादत का बदला लेंगें.
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इस आत्मघाती हमले में राजस्थान के 5 अन्य जवान भी शहीद हुए हैं. इस हमले को लेकर पूरे देश में आक्रोश है. लोग जगह-जगह पर शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगा रहे हैं.