8 नवंबर 2016 को पीएम मोदी के नोटबंदी के फैसले के बाद से देश में पेटीएम और मोबाइल बैंकिंग की अहमियत काफी बढ़ गई है. पीएम मोदी का देश को कैशलेस बनाने का सपना भले ही अभी दूर की कौड़ी नजर आ रहा हो, लेकिन इसको लेकर शुरुआत हो चुकी है और ऐसे में ये जानना जरूरी हो जाता है कि ऑनलाइन बैंकिंग या पेमेंट बैंकिग का आखिर मसला क्या है.

2015 में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने 11 कंपनियों को पेमेंट बैंक खोलने के लाइसेंस दिए थे जिनमें रिलायंस इंड्रस्टीज, आदित्य बिरला नुवो, पेटीएम, एयरटेल और वोडाफोन जैसी कंपनियां शामिल हैं.

इन कंपनियों का मकसद एक ऐसी जनसंख्या से जुड़ना है जो दशकों से बैंक की कार्य प्रणाली से दूर रही है और पारंपरिक बैंकों की बजाए इन्हें बैंकिंग की आसान प्रक्रिया से जोड़ने की कोशिश की जा रही है. इनमें लोगों का वो समुदाय भी है जो देश के दुर्लभ क्षेत्रों में रहते हैं.

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1. मोबाइल बैंक: मोबाइल बैंकिंग एक ऐसा जरिया है जो एक सामान्य बैंक की तरह ही काम करेगा लेकिन एसबीआई, एचडीएफसी और आईसीआईसीआई बैंक की तरह इनकी ब्रांच और इंफ्रास्ट्रक्चर का दायरा काफी कम होगा. मोबाइल बैंक इस्तेमाल करने वाले लोग अपने स्मार्टफोन द्वारा ही अपने अकाउंट को चला सकते हैं.

2. पेमेंट बैंक में बचत की सुविधा: किसी भी पेमेंट बैंक अकाउंट में एक लाख रूपए तक जमा किए जा सकते हैं. इसके अलावा पेमेंट बैंक भी लोगों को एक लाख तक का कर्ज मुहैया करा सकता है, ये कर्ज़ खासतौर पर छोटे व्यापारियों को लाभ पहुंचाने के बाबत शुरु किए गए हैं.

3. एटीएम और डेबिट कार्ड : आपके बैंक द्वारा जारी किए गए इन कार्ड्स से आप देश में मौजूद किसी भी एटीएम से पैसे निकलवा सकते हैं.

4. मोबाइल सर्विस: इस सर्विस के द्वारा आप मोबाइल से ही पैसे का ट्रांसफर कर सकते हैं. इसके अलावा इस सुविधा से बिलों का भुगतान, कैश की बजाए मोबाइल से भुगतान और बैंक अकाउंट्स में फोन के द्वारा पैसा पहुंचा देना जैसी कई सुविधाओं का लाभ उठाया जा सकता है.

5. सेविंग अकाउंट और ब्याज़: किसी भी सामान्य बैंक अकाउंट की तरह ही ग्राहक अपने सेविंग अकाउंट में जमा पैसों पर ब्याज़ पा सकते हैं. उदाहरण के तौर पर, एयरटेल सेविंग अकाउंट धारकों को 7.25 प्रतिशत इंटरेस्ट देता है. इस ब्याज के ज्यादा होने की भी उम्मीद की जा सकती है क्योंकि मोबाइल बैंकिंग में इंफ्रास्ट्रक्चर पर काफी कम पैसा खर्च होता है.