कुछ महीने पहले ही बाज़ार में 10 रुपये के नकली सिक्के फैलने का खुलासा हुआ था. इस ख़बर के खुलासे ने लोगों में इन सिक्कों के प्रति ऐसी सतर्कता पैदा की कि लोग 10 रुपये के सिक्कों को ही लेने से डरने लगे.

अभी इस ख़बर को गए दो-चार महीने ही हुए थे कि दिल्ली में एक और नकली सिक्के बनाने वाले गिरोह का भांडा फोड़ हुआ है. दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने इस गिरोह के मास्टर माइंड उपकार लूथरा को गिरफ़्तार किया है. उपकार ने अपनी शुरुआत दिल्ली के उत्तम नगर इलाके से एक जूलरी शॉप से की थी, जिसमें चोरी होने के बाद उपकार ने बन कर दिया.

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इसके बाद उपकार ने कई छोटे-मोटे काम किये, पर किसी में उसे फ़ायदा नहीं हुआ. इसके बाद उपकार ने जुर्म की दुनिया में कदम रखा और 1998 में नकली सिक्के बनाने लगा. पुलिस के मुताबिक, तब से ले कर अब तक उपकार करीब 100 करोड़ रुपये के नकली सिक्के बनाये.

पुलिस का कहना है कि नकली सिक्कों को खपाने के लिए टोल प्लाजा का इस्तेमाल किया जाता था, जिनका जाल देश भर में फैला हुआ था. स्पेशल सेल इस मामले की भी जांच कर रही है कि सबसे ज़्यादा नकली सिक्के किस टोल प्लाजा में खपाए गए. इस मामले में पुलिस टोल प्लाजा के कर्मचारियों की भूमिका पर भी जांच कर रही है. नकली सिक्कों को खपाने के टोल प्लाजा आसान रास्ता था क्योंकि यहां दिन-रात कस्टमर को चेंज के लिए पैसे देने होते हैं.

नकली सिक्कों की खेप को लोगों के बीच पहुंचाने के लिए उपकार की तरफ़ से डिस्काउंट भी दिया जाता था. कई बार डिमांड के हिसाब से सिक्कों को आधी दरों पर बेचा जाता था. पुलिस के अनुसार, इन सिक्कों क्वॉलिटी इतनी अच्छी होती थी कि कोई नकली और असली सिक्कों के बीच फ़र्क ही नहीं कर सकता.