हमारे देश में भ्रष्टाचार बच्चे के पैदा होने से लेकर उसके कब्र में दफ़न होने के बाद तक जारी रहता है. ये वो सच्चाई है, जिससे मुंह नहीं छिपाया जा सकता. हमने भ्रष्टाचार को अपनी सुविधा के लिए बड़ी बेशर्मी के साथ जुगाड़ बुलाना शुरू कर दिया. नतीज़ा ये जुगाड़ पूरी व्यवस्था के बिगाड़ का कारण बन गया है.   

अब कोरोना महामारी भी इस भ्रष्टाचार से संक्रमित हो गई है. दरअसल, देश में इस वक़्त बहुत से ऐसे काम हैं, जो तब ही किए जा सकते हैं जब आप कोरोना वायरस से मुक़्त हों. इसे साबित करने के लिए आपको चाहिए होती है एक हॉस्पिटल की निगेटिव रिपोर्ट. बस यहीं हमारे जुगाड़ियों को पैसा कमाई का मौका मिल गया.   

मेरठ का एक निजी अस्पताल 2,500 रुपये में कोरोना की नकली निगेटिव रिपोर्ट बांटता फिर रहा है. इसका बाकायदा वीडियो भी वायरल हुआ है, जिसमें एक शख़्स कहता सुनाई दे रहा है कि 2,500 रुपये में कोरोना की निगेटिव रिपोर्ट बनवा देगा, जो एक सप्ताह तक मान्य होगी. उसे कहीं भी ले जा सकते हैं. किसी को भी दिखा सकते हैं. टेस्ट कराओगे तो पॉजिटिव रिपोर्ट आ सकती है और 14 दिन के लिए इलाज और क्वारंटीन होना पड़ सकता है.  

इस घटना के सामने आने के बाद से अस्पताल प्रबंधन के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज कर ली गई और हॉस्पिटल को सील करने का आदेश दे दिया गया है.  

The Indian Express की रिपोर्ट के मुताबिक़, मेरठ के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) राजकुमार सैनी ने इस मामले में जांच के आदेश दे दिए हैं. सबसे बड़ी चिंता की बात ये है कि रिपोर्ट पर मेरठ के दो सरकारी अस्पतालों में से एक प्यारे लाल शर्मा जिला अस्पताल की मुहर भी लगी दी है.   

फ़िलहाल इस मामले की जांच की जा रही है. इस फ़र्ज़ीवाड़े में कौन-कौन लोग शामिल हैं, इसका पता लगाया जा रहा है.