2015 में Indian Idol Junior से चर्चा में आयी थी असम की सिंगर, नाहिद आफ़रीन. शो की फ़ाइनलिस्ट रही नाहिद एक बार दोबारा चर्चा में हैं, उन पर लगे 46 फ़तवों की वजह से.

सुबह से ये न्यूज़ चल रही थी कि असम के 46 मौलवियों ने उस पर शरिया कानून तोड़ने के एवज में फ़तवा जारी किया है. सब तरफ़ इस ख़बर को दिखाया गया. डिजिटल मीडिया और न्यूज़ चैनलों ने भी इस ख़बर पर राय रखी. GazabPost भी इसी ख़बर पर भरोसा कर रहा था.
लेकिन इस ख़बर का सच किसी को नहीं पता था. दरअसल इन 46 मौलवियों ने हस्ताक्षर कर जिस पेपर को सामने रखा, वो असल में फ़तवा था ही नहीं. अहोमी भाषा में लिखा हुआ ये पेपर एक अपील थी, जिस पर इन मौलवियों ने हस्ताक्षर करते हुए शरिया कानून को तोड़ने और आहत होने की बातें की.

इस लेटर में ये कहा गया है कि नाच, गाना और जादू ये सब शरिया के कानून को तोड़ते हैं. नाहिद की Performance जहां होनी थी, वो जगह मस्जिद, मदरसों और कब्रिस्तानों के बेहद पास है. गौरतलब है कि नाहिद ने 25 मार्च को असम के लंका में जहां शो करना है, ये लोग उसी जगह की बात कर रहे हैं. इस लीफ़लेट में फ़तवा कहीं भी नहीं लिखा, बल्कि गुहारी (निवेदन) लिखा हुआ था और ये असम के दो ज़िलों में बंटा था.
इस ख़बर के फ़ैलते ही असम के CM सर्बनान्दा सोनोवाल समेत इंडियन आइडल में उसके जज रहे विशाल डडलानी, और एक्टिविस्ट-राइटर तसलीमा नसरीन और बाक़ी कई लोग नाहिद के सपोर्ट में आ गये.
We strongly condemn putting restrictions on performance by young talented singer Nahid Afrin by some organisations.
— Sarbananda Sonowal (@sarbanandsonwal) March 14, 2017
Freedom of artists are essence of democracy. Spoke to Nahid and reiterated our Govt’s commitment to provide safety and security to artists.
— Sarbananda Sonowal (@sarbanandsonwal) March 14, 2017
Just spoke with #NahidAfrin and her parents. They are standing strong. Told her that we all stand with her.
She will not give up on music!— VISHAL DADLANI (@VishalDadlani) March 15, 2017
After getting fatwa from 46 mullahs in Assam,16 yrs old Nahid Afrin said she’ll never bow down and will never leave singing. Bravo girl!
— taslima nasreen (@taslimanasreen) March 15, 2017
जहां ये लोग अपनी बात रखने के लिए एक शांतिपूर्ण प्रक्रिया का इस्तेमाल कर रहे थे, वहीं ये देखना ग़लत था कि उनकी ‘गुहारी’ को फ़तवा बना दिया गया. और इसके लिए हम सभी ज़िम्मेदार हैं. किसी ने उस पत्र को पढ़ने की ज़हमत नहीं समझी.
लेकिन इसका अर्थ ये नहीं कि इनकी सोच सही मानी जाएगी, ये लोग कुछ जगहों पर सही हो सकते हैं, लेकिन कुछ जगह ग़लत भी. नाहिद ने अपने स्टेटमेंट में कहा है कि कई लोगों ने उसे ये करने से मना किया और कहा कि वो गुनाह कर रही थी. 16 साल की नाहिद ने बड़ी सही बात कही, कि उसे आवाज़ ऊपर वाले ने दी है और अगर वो गाएगी नहीं, तो ये उसकी अवमानना होगी. उसने कहा कि वो अपनी आखरी सांस तक गाएगी.
नाहिद एक टैलेंटेड सिंगर है और उसे पूरा हक़ है गाने का लेकिन हम ये भी मानते हैं कि ख़बर को तोड़-मरोड़ कर पेश कर सही नहीं है. इसकी ज़िम्मेदारी पत्रकार की होनी चाहिए
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