लाखों लोगों को रोज़ाना यात्रा कराने वाली भारतीय रेल ने गुरुवार यानि 16 अप्रैल, 2020 को 167 साल का अपना सफ़र पूरा किया. हालांकि, भारतीय रेलवे के इस मुक़ाम को भी कोरोना की नज़र लग गई. जिन ट्रेनों में बैठने की जगह भी बमुश्क़िल मिला करती थी, आज वो खाली पड़ी हैं.
भारत में पहली पैसेंजर ट्रेन की शुरुआत 16 अप्रैल 1853 को हुई थी. पहला सफ़र मुंबई में बोरी बंदर से ठाणे का था.
भारत की जीवन रेखा मानी जानी वाली रेलगाड़ियां अपनी शुरुआत से ही लागातार लोगों को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने का काम कर रही हैं. पहली बार इसके पहियों पर रोक 1974 में रेलगाड़ियों की हड़ताल के दौरान लगी थी. मई, 1974 में क़रीब तीन हफ्ते तक चलने वाली हड़ताल के दौरान ड्राइवर, स्टेशन मास्टर, गार्ड, कर्मचारी और कई अन्य लोगों ने ‘चक्का जाम’ कर दिया था. उनकी मांग थी कि रेलवे ड्राइवरों के काम के घंटे तय किए जाएं और वेतन बढ़ाया जाए.
अखिल भारतीय रेलवे महासंघ के महासचिव शिव गोपाल मिश्रा उस समय रेलवे के साथ एक प्रशिक्षु थे. उन्होंने पीटीआई को बताया, ‘मुझे वो समय याद है, जब हमारे नेता जॉर्ज फ़र्नांडीज़ ने तत्कालीन रेल मंत्री के साथ लगभग डील कर ली थी, लेकिन फिर जब प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पास ये मामला पहुंचा तो समझौता नहीं हो पाया.’
उन्होंने बताया कि, ‘जॉर्ज फ़र्नांडीज को लखनऊ में गिरफ़्तार कर लिया गया था. उस वक़्त कर्मचारियों ने बहुत कुछ सहा था. लेकिन ये वो समय था, जब कर्माचारी हार नहीं मानते थे और अपनी मांगों को पूरा करवाने के लिए बड़े रिस्क उठाते थे.’
इसी तरह, चार दशक पहले, आवश्यक आपूर्ति करने वाली माल गाड़ियों को चलाया गया था और यूनियनों ने हावड़ा से दिल्ली के लिए कालका मेल जैसे ट्रंक मार्गों पर कुछ यात्री गाड़ियों को चलने देने पर सहमति व्यक्त की थी.
रेलवे के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘अपने इतिहास में कभी भी इतने समय के लिए सेवाएं नहीं रोकी गईं हैं. चाहें विश्व युद्धों का दौर रहा हो या 1974 की रेलवे हड़ताल या फिर किसी अन्य राष्ट्रीय आपदा या प्राकृतिक आपदा के दौरान, कभी भी सेवाएं इतने लंबे समय के लिए बाधित नहीं हुईं.’
बता दें, पहली बार 16 अप्रैल, 1853 को मुंबई से ठाणे के बीच ट्रेन चली थी. 400 यात्रियों के साथ 167 साल पहले जब सफ़र की जब शुरुआत हुई थी, तब 21 तोपों की सलामी दी गई थी. अंग्रेजी हुकूमत के समय इस ट्रेन ने 34 किलोमीटर का सफ़र तय किया था.
रेलवे मिनिस्ट्री ने भारतीय रेलवे के 167 साल पूरे होने के अवसर पर ट्वीट किया, ‘आज से 167 साल पहले ‘कभी नहीं रुकने’ के जोश के साथ, मुंबई से ठाणे जाने वाली पहली पैसेंजर ट्रेन के पहियों ने चलना शुरू किया था. पहली बार, आपकी सुरक्षा के लिए पैसेंजर ट्रेन की सर्विस को रोका गया है. आप घरों में सुरक्षित रहें और देश को विजयी बनाएं.’
Today, 167 years ago with the zeal of ‘never to stop’, the wheels of the first passenger train from Mumbai to Thane started rolling
— Ministry of Railways (@RailMinIndia) April 16, 2020
For the first time, passenger services are stopped for your safety
Stay indoor & make the nation victorious
Artistic impression of first train pic.twitter.com/8K8L2y2mfO
गौरतलब है कि कोरोनावायरस के प्रकोप के कारण रेलवे ने 25 मार्च से 3 मई तक सभी यात्री सेवाओं को निलंबित कर दिया है. रेलवे द्वारा चलाई जाने वाली लगभग 15,523 ट्रेनें प्रभावित हुई हैं, जिनमें 9,000 यात्री ट्रेनें और 3,000 मेल एक्सप्रेस सेवाएं शामिल हैं, जिन्हें प्रतिदिन चलाया जाता है. ये हर दिन 20 मिलियन से अधिक यात्रियों को अपनी सेवाएं देती है.