परिवार, समाज, शिक्षा या फिर अधिकार इन सभी को पाना समाज के तीसरे वर्ग यानि ट्रांसजेंडर के लिए हमेशा ही मुश्किल रहा है. ये कितने भी बुद्धिमान और निपुण क्यों न हों, फिर भी इन्हें समाज के सामान्य कहे जाने वाले लोगों के बाद में ही रखा जाता है.

ऐसा ही कुछ एक बार फिर हुआ है, तमिलनाडु की ट्रांसजेंडर रक्षिका राज के साथ. दरअसल, रक्षिका राज को क़रीब एक साल के बाद ट्रांसजेंडर नर्स के तौर पर रजिस्टर्ड कर लिया गया है. पिछले एक साल से रक्षिका बेरोज़गार थीं. ट्रांसजेंडर की कोई कैटिगरी न होने के चलते रक्षिका का एक साल कोर्ट कचहरी के चक्कर काटने में बर्बाद हो गया.

अपने एक साल के संघर्ष के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा,

मुझे इस नौकरी को पाने के लिए काफ़ी संघर्ष करना पड़ा. इसकी वजह थी, ट्रांसजेंडर के लिए कोई कैटेगरी न होना. इस चक्कर में मुझे कोर्ट में पिटीशन दाखिल करनी पड़ी और तब जाकर कहीं मुझे ये नौकरी मिली. मैं चुनौतियों से न कभी डरी हूं और न ही कभी डरूंगी. इनसे लड़कर मैं सितारों की तरह चमकूंगी. 

रक्षिका को लोगों ने ट्वीट कर बधाई दी और उनकी इस हिम्मत के लिए दाद भी दी. 

रक्षिका राज ने तमिलनाडु के पद्मश्री कॉलेज ऑफ़ नर्सिंग से बीएससी की डिग्री ली. उन्हें ये डिग्री तमिलनाडु के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित के हाथों से मिली थी. ऐसा करने वाली वो पहली ट्रांसजेंडर महिला हैं. रक्षिका का जन्म तमिलनाडु के कांचीपुरम ज़िले के वालजाहबाद में हुआ था, तब उनका नाम राज कुमार रखा गया था.

आपको बता दें, 2018 में शीतकालीन सत्र में ट्रांसजेंडर के अधिकारों से जुड़ा एक बिल पारित किया गया था, जिसमें ट्रांसजेंडर को परिभाषित करने, उनके ख़िलाफ़ भेदभाव पर पाबंदी लगाने और उन्हें लिंग पहचान का अधिकार देने के प्रावधान शामिल किए गए थे.

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