दिल्ली बॉर्डर पर हज़ारों किसान अपने हक़ के लिए लगभग 1 महीने से बैठे हैं. जहां किसान एक तरफ़ लड़ रहे हैं वहीं देश के कई हिस्सों से आंखें नम कर देने वाली ख़बरें आ रही हैं.
Times of India की रिपोर्ट के अनुसार, सराई गांव के अजीत सिंह ने एक एकड़ में तैयार गोभी की फ़सल नष्ट कर दी. अजीत सिंह ने Times of India से बात करते हुए बताया कि उसने फ़सल उगाने में लगभग 35 से 40 हज़ार रुपये ख़र्च किए थे और उसे उम्मीद थी कि उसे फ़सल के कम से कम 1 लाख रुपये मिलेंगे.
पिछले साल गोभी के दाम 11-14 रुपये मिल रहे थे लेकिन इस साल तो होलसेल मार्केट में 1 रुपये से भी कम मिल रहे हैं. फ़सल काटकर होलसेल मार्केट में लेकर जाने का कोई मतलब नहीं था इसलिए मैंने फ़सल नष्ट कर दी.
-अजीत सिंह
अजीत सिंह ने ये भी बताया कि सब्ज़ियों के ट्रक दिल्ली और अन्य शहरों में नहीं पहुंच रहे हैं इसलिए दाम और गिर गए हैं. सिंह ने ये भी बताया कि जम्मू और कश्मीर से भी ज़्यादा डिमांड नहीं आ रही.
कुछ दिनों पहले, उत्तर प्रदेश के शामली ज़िले से भी ऐसी ही ख़बर आई थी. New Indian Express की रिपोर्ट के मुताबिक़, ज़िले के मायापुरी गांव में एक किसान ने गोभी की खड़ी फ़सल बर्बाद कर दी. रमेश का कहना था कि उसे गोभी की 1 रुपये से भी कम क़ीमत मिल रही थी. रमेश ने भी विरोध करते किसानों को अपना समर्थन दिया.
बीते 16 दिसंबर को बिहार के समस्तीपुर ज़िले के मुक्तापुर गांव में एक किसान, ओमप्रकाश यादव ने अपनी 5 एकड़ ज़मीन पर ट्रैक्टर चला दिया था. The Telegraph की रिपोर्ट के अनुसार, यादव को मंडी में गोभी के 1 रुपये प्रति किलो या 100 रुपये क्विंटल मिल रहे थे.
रिपोर्ट्स के मुताबिक़, अप्रैल में बेंगलुरू के एक किसान ने बताया था कि मज़दूरों के अभाव में वे फ़सल मार्केट तक नहीं पहुंचा पाया और उसने फ़सल को खेत में ही सड़ने के लिए छोड़ दिया. कर्नाटक के ही एक किसान ने अपनी 15 टन टमाटर की फ़सल सूखे टैंक में डाल दी थी. बेलागावी के एक किसान ने एक एकड़ में उगाई बंदगोभी की फ़सल में पशुओं को चरने के लिए छोड़ दिया था.