चर्चित वॉटरगेट कांड के चलते साल 1974 में अपनी कुर्सी गंवाने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति, रिचर्ड निक्सन एक बार फिर सुर्खियों में हैं. इस बार भी ग़लत वजहों के कारण ही उनकी चर्चा हो रही है. दरअसल, 1971 में भारतीयों को लेकर एक बंद कमरे में दिए गए उनके घटिया बयान आज क़रीब 49 साल बाद दुनिया के सामने आ रहे हैं.
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व्हाइट हाउस से नए डीक्लासिफाइड टेप्स के एक सेट से पता चला है कि निक्सन ने भारतीय महिलाओं को दुनिया की सबसे बदसूरत दिखने वाली महिलाएं कहा था. इतना ही नहीं, उन्होंने भारतीयों को सबसे ज़्यादा सेक्सलेस और दयनीय करार दिया था. निक्सन ने ये बयान उनके तत्कालीन सुरक्षा सलाहकार हेनरी किसिंगर और व्हाइट हाउस चीफ़ ऑफ़ स्टाफ़, एच.आर. हाल्डेमन के बीच जून 1971 में ओवल ऑफ़िस में हुई बातचीत के दौरान दिए थे.
Indian Express की रिपोर्ट में कहा गया कि निक्सन ने मीटिंग के दौरान कहा कि, ‘इसमें कोई शक नहीं है कि दुनिया में सबसे बदसूरत दिखने वाली महिलाएं भारतीय हैं. ये लोग सबसे सेक्सलेस हैं. लोग अश्वेत अफ़्रीकियों के बारे में सवाल करते हैं. वहां कम से कम जानवरों जैसा चार्म होता है लेकिन भारतीय दयनीय हैं.’
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प्रिंसटन यूनिवर्सिटी के अकैडमिक गैरी जे. बास को ये टेप डीक्लासिफाई करने के लिए कानूनी अनुरोध करना पड़ा, जिसके बाद ये टेप सौंपे गए. इन टेप के हवालों से शुक्रवार को उन्होंने न्यूयॉर्क टाइम्स में एक ओपिनियन भी लिखा.
Indian Express की रिपोर्ट के मुताबिक़, भारतीयों के प्रति निक्सन की इस घृणित सोच को उस समय के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहाकार हेनरी किसिंगर ने भी हवा दी थी, जिनकी 70 के दशक में दिल्ली को लेकर अमेरिकी नीतियों को निर्धारित करने में अहम भूमिका थी.
किसिंगर ने निक्सन से कहा था कि ‘भारतीय लोग बड़े ही चापलूस क़िस्म के होते हैं और वे चाटुकारिता में मास्टर होते हैं.’ ज़ाहिर तौर पर इस टेप से निक्सन की नस्लवादी सोच और भारतीयों के प्रति उनके पूर्वाग्रह का पता चलता है, जो अंतर्राष्ट्रीय घटनाओं में रिफ़्लेक्ट भी होती है. भारतीयों के प्रति निक्सन की इस घृणित मानसिकता का ही असर था कि उन्होंने पाकिस्तान को लेकर नरम रूख अख़्तियार किया था और पूर्वी बंगाल (अब बांग्लादेश) में पाक आर्मी द्वारा बंगाली लोगों पर किए गए अत्याचारों को नज़रअंदाज़ कर दिया था.
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बता दें, प्रोफ़ेसर और लेखक गैरी जे. बास ने 2013 में प्रकाशित अपनी किताब, ‘The Blood Telegram: Nixon, Kissinger, and a Forgotten Genocide’ में भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को लेकर निक्सन की घृणित सोच का जिक्र किया गया था.
गैरी जे. बास ने Indian Express से बातचीत में बताया कि, निक्सन की भारत के प्रति ये घृणित सोच भारत की गुटनिरपेक्षता की नीति और सोवियत संघ के साथ बन रहे उसके अच्छे संबंधों के चलते थी.