यूं तो भारत में लोमड़ी वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत आता है. सरकार इसकी सुरक्षा के लिए तत्पर रहती है, मगर प्रशासन ही इस कानून की धज्जियां उड़ा रहा है. ख़बर है तामिलनाडु के सालेम जिले की, जहां वन अधिकारियों ने ग्रामीणों को ‘fox Jallikattu’ मनाने की छूट दी है.
यह छूट तब मिली, जब सुप्रीम कोर्ट ने जलिकट्टु को पूरी तरह से बैन कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि इस खेल में जानवरों के साथ बर्बरता होती है, जोकि सही भी है.
TOI की एक रिपोर्ट के अनुसार, लोमड़ी के मुंह को रस्सी से बांध दिया गया है. ताकि वो किसी को न काटे. इसके अलावा ग्रामीणों ने उसकी पूजा की और फूलों की माला से लोमड़ी को सजाया गया.
इस पर कार्यक्रम के आयोजनकर्ता सुरेश बालन कहते हैं कि हम लोमड़ी के द्वारा अपनी परंपरा को निभा रहे थे. कार्यक्रम के समापन के बाद लोमड़ी को जंगल में छोड़ दिया गया. उसे कोई नुकसान नहीं पहुंचाया गया.
यह पूरा कार्यक्रम ‘Kaanum Pongal’ के मौके पर आयोजित किया गया था. इस कार्यक्रम में वन अधिकारी भी शामिल थे. इसके अलावा कई ग्रामीण भी मौजूद थे. क्या आपको लगता है कि त्योहार के नाम पर किसी जानवर के साथ ऐसा व्यवहार करना चाहिए?