ये बात हम सबको पता है कि प्लास्टिक पर्यावरण के लिए काफ़ी हानिकारक है. प्लास्टिक न बायोडिग्रेडेबल है, न ही सेहत के लिए फ़ायदेमंद.
ऐसे में सबकी कोशिश यही रहती है कि प्लास्टिक का कम से कम इस्तेमाल किया जाए. नहीं तो जैसे मुंबई के तटों पर रेत के बदले जो प्लास्टिक दिखती है, वो बढ़ती ही जाएगी. हालांकि ये बात भी सबको पता है कि प्लास्टिक न इस्तेमाल करने की समझ जब तक सब में आएगी, हम लोग हज़ारों टन प्लास्टिक का इस्तेमाल कर चुके होंगे.
ऐसे में हमारे रिसर्चर प्लास्टिक का तोड़ निकालने में हमेशा जुटे रहते हैं. साउथ फ़्रांस के एक खोजकर्ता क्रिस्टोफ़र कोस्ट्स की माने तो उन्होंने एक ऐसी मशीन बनाई है, जो वेस्ट प्लास्टिक से पेट्रोल और डीज़ल निकाल सकती है. Chrysalis नाम की ये मशीन 450 डिग्री सेल्सियस पर प्लास्टिक को हाई हीट करने के साथ डिकंपोज़ करना शुरू कर देती है, जिससे 65% डीज़ल निकलता है, जो कि जेनरेटर और बोट मोटर में इस्तेमाल हो सकता है. साथ ही इसमें से 18% पेट्रोल निकलता है, जो पावर लैंप के काम आ सकता है. 10% गैस निकलती है, जो गर्म करने के काम आती है और बाकी 7% कार्बन निकलता है.
क्रिस्टोफ़र कहते हैं कि इस मशीन के ज़रिए प्लास्टिक के मोल्यूक्युल, हल्के हाइड्रोकार्बन में तब्दील हो जाते हैं. फिर आप अलग-अलग महत्वपूर्ण चीज़ें जैसे डीज़ल, पेट्रोल और गैस निकाल सकते हैं.
क्रिस्टोफ़र Environmental Organisation Earth Wake के साथ अब Chrysalis मशीन को एक कर्मशल मशीन बनाने का काम कर रहे हैं, जिसकी कीमत लगभग 50 हज़ार यूरोज़ के आसपास आएगी. फिलहाल ये मशीन अभी 10 टन प्लास्टिक से महीने भर का फ़्यूल निकालने का काम कर रही है. बड़ी मशीन आते साथ ही 1 घंटे में 40 लीटर फ़्यूल निकल पाएगा.
इस मशीन के आने के बाद कई विकासशील देशों में बूम आने वाला है, जहां पेट्रोल और डीज़ल के दाम आसमान छू रहे हैं.