दिल्ली, नोएडा और ग़ाज़ियाबाद के 9 अस्पतालों में कथित तौर पर 2 दिनों तक चक्कर काटने के बावजूद सांस की तकलीफ़ से पीड़ित ग़ाज़ियाबाद की एक 48 वर्षीय महिला की रविवार शाम मेरठ के मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान मौत हो गई.  

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हैरानी की बात है कि नाज़ुक हालात में भी इस महिला को दिल्ली-NCR के 9 अस्पतालों में इलाज के लिए बेड तक नहीं मिला. हाल ही में नोएडा में 8 महीने की प्रेग्नेंट महिला की भी अस्पताल में बेड नहीं मिलने से मौत हो गई थी. 

मामला ग़ाज़ियाबाद के खोड़ा इलाक़े का बताया जा रहा है. शनिवार सुबह ममता देवी को सांस की समस्या के बाद परिवार वाले एम्बुलेंस में दिल्ली के एक नामी अस्पताल में लेकर गए, लेकिन अस्पताल ने बेड न होने की बात कहकर उन्हें वापस लौटा दिया. इसके बाद महिला के बेटे अर्जुन त्यागी ने शनिवार को अपनी मां को 8 अन्य अस्पतालों में भर्ती कराने की कोशिश की, लेकिन कहीं भी बेड नहीं मिल सका. 

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अर्जुन का कहना था कि, इसके बाद हम मां को दिल्ली के 3 अस्पतालों में भी लेकर गए, लेकिन हर जगह बताया गया कि बेड खली नहीं हैं. इसके बाद हम नोएडा के मेट्रो और कैलाश अस्पताल में भी गए, इन हॉस्पिटलों में हमसे कहा कि अगर मरीज़ का कोरोना टेस्ट नहीं किया गया है तो उन्हें भर्ती नहीं किया जा सकता है. इसके बाद हम उन्हें ग़ाज़ियाबाद के ‘एमएमजी ज़िला अस्पताल’ लेकर गए. इस दौरान डॉक्टरों ने उन्हें कुछ इंजेक्शन दिए तो उसकी सांस लेने की समस्या कुछ हद तक कम हो गई थी. इसके बाद हम रात के समय मां को घर ले आ गए. 

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जब हम एमएमजी अस्पताल में थे उस दौरान मैंने वैशाली और कौशाम्बी के कुछ नर्सिंग होम में भी पूछताछ की थी, लेकिन सभी का कहना था कि वो किसी भी इमर्जेंसी वाले मरीज़ को भर्ती नहीं कर सकते, क्योंकि उनके पास उपकरणों की कमी है.  

बताया जा रहा है कि अगली सुबह ममता को फिर से सांस लेने में समस्या पैदा हुई. इस दौरान परिवारवालों ने ‘सरकारी एम्बुलेंस सेवा 112’ पर कई कॉल किये, लेकिन कोई मदद नहीं मिली. इसके बाद एक स्थानीय नेता की मदद से एक निजी एम्बुलेंस द्वारा ममता को दिल्ली के एक सरकारी अस्पताल ले जाया गया. इस दौरान अस्पताल ने प्रारंभिक जांच के बाद उन्हें दूसरे अस्पताल ले जाने को कह दिया.  

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अर्जुन का कहना है कि इसके बाद हम उन्हें दिल्ली के कड़कड़डूमा स्थित एक निजी अस्पताल में लेकर गए, लेकिन उन्होंने भी दिया कि बेड खाली नहीं है. इस दौरान हम 6 घंटे तक इधर से उधर भागते रहे, लेकिन कहीं कोई मदद नहीं मिल. इसके शाम 4 बजे के आसपास हम मां फिर से ग़ाज़ियाबाद के ‘एमएमजी अस्पताल’ लेकर गए, लेकिन तब तक उसकी हालत काफी बिगड़ चुकी थी.  

इस दौरान डॉक्टरों ने उन्हें दवाइयां देकर मेरठ रेफ़र कर दिया. इसके बाद रविवार रात क़रीब 10 बजे इलाज के दौरान मां की मौत हो गई. डॉक्टरों ने कहा कि उसके फ़ेफ़ड़ों में पानी भर चुका था. 

इन दिनों दिल्ली-NCR के अधिकतर हॉस्पिटल कोरोना प्रोटोकॉल में बेड की कमी का हवाला देकर गंभीर रूप से बीमार मरीज़ों को भी प्रवेश देने से इंकार कर रहे हैं. ऐसे में अन्य बीमारियों से जूझ रहे मरीज़ों को इन्हीं सब परेशानियों से गुजरना पड़ रहा है.