गाड़ियों के पीछे और नेताओं के घर के बाहर आपने ‘बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ’ का नारा अकसर लिखा हुआ देखा होगा, पर अरुणाचल प्रदेश के पपुमपारे ज़िले में इस नारे के साथ ही नारी अस्मिता की धज्जियां उड़ती हुई दिखाई दी.
ख़बरों के मुताबिक, Tani Happa कस्बे में मौजूद कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय में एक या दो लड़कियों की नहीं, बल्कि 88 लड़कियों को निर्वस्त्र कर दिया गया. 27 नवंबर को हुए इस मामले में All Sagalee Students Union ने पुलिस में शिकायत करके FIR दर्ज कराई है. पुलिस के अनुसार, स्कूल में एक टीचर को काग़ज का टुकड़ा मिला, जिसमें हेड मास्टर के ख़िलाफ़ अपशब्द लिखे हुए थे. बच्चों को सबक सिखाने के लिए दो असिस्टेंट टीचर और एक जूनियर टीचर ने मिल कर 6th से ले कर 8th क्लास में पढ़ने वाली लड़कियों के कपड़े उतरवा दिए.
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मामले की जांच में जुटे सुपरिन्टेन्डेन्ट ऑफ़ पुलिस Tumme Amo का कहना है कि ‘बच्चियों, टीचर और पेरेंट्स से पूछताछ करके मामला दर्ज कर लिया गया है. इसके साथ ही इस मामले को वीमेन पुलिस स्टेशन को सौंप दिया गया है, जो अभी सारे मामले की जांच कर रही है.’
All Papum Pare District Students Union (APPDSU) की एक टीम भी इस बाबत टीचर और पेरेंट्स से मुलाक़ात कर चुकी है. APPDSU के प्रेजिडेंट Nabam Tado का कहना है कि ‘इस मुद्दे पर स्कूल प्रशासन अभी तक चुप है और कुछ भी कहने से बच रहा है.’
सुर्ख़ियों में आने के बाद इस मुद्दे पर भी राजनीति शुरू हो गई है. अरुणाचल प्रदेश कांग्रेस समिति ने इस मामले को बेहद शर्मनाक बताया है. पार्टी की ओर से जारी किये गए स्टेमेंट में कहा गया है कि ‘स्टूडेंट्स के चरित्र और व्यवहार के निर्माण में एक टीचर की अहम भूमिका होती है. बच्चियों को निर्वस्त्र करना किसी भी तरीके से सही नहीं है. ये बाल शोषण और उनके अधिकारों का हनन है.’
इस ख़बर को लिखते हुए रमाशंकर यादव उर्फ़ ‘विद्रोही’ की एक मशहूर कविता ‘भारत भाग्य विधाता’ अचानक ही याद आ गई, जिसका एक अंश कुछ इस तरह है कि:
‘मैं भी मरूंगाऔर भारत के भाग्य विधाता भी मरेंगेलेकिन मैं चाहता हूंकि पहले जन-गण-मन अधिनायक मरेंफिर भारत भाग्य विधाता मरें’
ऐसे मामलों के आने से पहले मैं भी यही कहना चाहूंगा कि जब चरित्र निर्माता ही चरित्रहीनता पर उतर जाए, तो हमें मर जाना चाहिए, पर हमारे मरने से पहले उस चरित्रहीन को मर जाना चाहिए, जो इस तरह के कुकृत्य में शामिल हो.